लॉकडाउन के समय में अपने परिवार के लालन-पालन के लिए 22 मई को सनातन डेका अपने घर के पीछे उगाई सब्जियों को साइकिल पर रखकर बेचने निकला। रास्ते में उसकी साइकिल दो युवकों की स्कूटी से टकराई और स्कूटी पर खरोंच आ गई। स्कूटी चालकों को वह मामूली सी खरोंच देखकर इतना गुस्सा आया कि पहले उन्होंने सनातन को खुद पीटा और फिर अपने तीन अन्य साथियों को बुलवाकर उसे इतना मारा कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई। आज पुलिस ने इस संबंध में दो आरोपितों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान फैजुल हक और युसूफउद्दीन अहमद के रूप में हुई।
सामाजिक कार्यकर्ता दिगंता गोस्वामी इस घटना पर कहते कि असम के गाँव तेतेलिया में रहने वाले सनातन वैसे एक मजदूर थे। मगर, लॉकडाउन में सभी काम ठप्प होने के कारण घर पर उगी सब्जियों को बेचने के विचार से घर से निकले। बीच में जब वह एक मुस्लिम बहुल इलाके में पहुँचे, तो वहाँ ये घटना हुई और 37वर्षीय (पैन कार्ड के अनुसार) सनातन डेका को उन युवकों ने इतना पीटा कि मौके पर ही उनकी जान निकल गई। दिगंता इस घटना पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए पूछते हैं कि आखिर एक गरीब व्यक्ति से अगर गलती हुई भी तो क्या उसे ऐसे मारा जाना चाहिए था कि वो मर जाए?
वहीं, उनकी पत्नी, जो पति की मौत के बाद बिलकुल अकेली हो गई है, वो मीडिया से बातचीत में बताती हैं कि उनका पति उनके घर में अकेले कमाने वाला था। ऐसे में जब उन्हें सबसे पहले इस घटना के बारे में सूचना दी गई, तो उन्हें बताया गया कि सनातन का एक्सिडेंट हुआ है।
मगर, जब परिजन खुद हाजो अस्पताल गए तो उन्होंने देखा कि सनातन के शरीर पर गहरे चोट के निशान थे। उनके मुँह से, कान से खून निकल रहा था। उनकी स्थिति को देखते हुए साफ पता चल रहा था कि ये कोई एक्सिडेंट नहीं, बल्कि मार-पिटाई का मामला है। सनातन की हालत ऐसी थी कि हाजो सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें फौरन GNRC अस्पताल ले जाने को कहा, जहाँ पहुँचते ही डॉक्टरों ने उन्हें स्पष्ट रूप से मृत घोषित कर दिया।
हाजो भाजपा विधायक सुमन हरिप्रिया ने आज इस संबंध में सनातन के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने पूरा मामला जानने के बाद कहा कि लोग पूछ रहे हैं कि एक युवक को आखिर दिन दहाड़े कैसे मारा? आखिर कैसे ईद के 2 दिन पहले फैजुल और युसूफ ने सनातन की हत्या कर दी? रोजे के दौरान तो माना जाता है कि वे किसी तरह का गुनाह नहीं कर सकते? फिर आखिर उन्होंने ये सब कैसे किया?
भाजपा विधायक ने कहा कि सनातन के पास रोजगार था। पर, लॉकडाउन की वजह से उसकी सैलरी आना रुक गई थी। इसलिए उसने अपने घर के पीछे खेती करके कुछ सब्जी उगाई। पर जब वह उन्हें बेचने निकला तो उसकी मारकर हत्या कर दी गई। परिवार से मिलने के दौरान भाजपा विधायक ने आरोपितों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए आभार व्यक्त किया। वहीं, एक कॉन्ग्रेस युवक भी मौके पर पहुँचा और उसने मामले को साम्प्रदायिक रंग न देने की लोगों से अपील की।
हालाँकि, इस मामले में आगे की कार्रवाई संबंधी जानकारी जानने के लिए ऑपइंडिया ने पुलिस से संपर्क करने का बहुत प्रयास किया। मगर, पुलिस थाने में किसी ने कॉल नहीं उठाया।
इस संबंध में ऑपइंडिया ने सामाजिक कार्यकर्ता दिगंता गोस्वामी के अलावा वहाँ के लोकल व सनातन डेका के घरवालों की मदद के लिए कैंपेन चलाने वाले भास्कर ज्योति दास से भी बात की। भास्कर ज्योति ने बताया कि इस घटना के बाद उनके इलाके के सभी लोग सनातन के परिवार को मदद देने के लिए आगे आए हैं। कोई 50 रुपया भेज रहा है, तो कोई 500। जिससे भास्कर स्वयं उनके घरवालों की मदद कर रहे हैं व आरोपितों के ख़िलाफ़ केस दायर करवा रहे हैं।
भास्कर बताते हैं कि वे एक संगठन से जुड़े हुए हैं जिसका नाम असम दतिया महासभा युवा मंशा है। इस संगठन ने अपनी ओर से सनातन डेका को पहले शहीद का दर्जा देते हुए Assamese economical revolution martyr का सम्मान दिया है।
पुलिस कार्रवाई के बारे में पूछने पर भास्कर बताते हैं कि पहले पुलिस ऑफिशियल ने बयान दिया था कि आरोपितों ने सनातन को बस थप्पड़ मारा था जिससे वह नीचे गिर गए। मगर, जब भास्कर के संगठन ने इस मामले पर जोर देकर आंदोलन करना शुरू किया तो पुलिस ने उनके सामने अपनी गलती मानी और कहा कि उन्होंने गलत बयान दे दिया था। इसके बाद पुलिस ने सराहनीय काम किया।
भास्कर ज्योति दास कहते हैं कि आरोपित फैजुल बेहद धनी परिवार से संबंध रखता है, जिसका बड़ा भाई लोगों को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ढेर सारे पैसे लेता और फिर गायब हो जाता है। ऐसे करके वे लोग बहुत अमीर हो चुके हैं। वे खुद को स्थानीयों के बीच एजीपी का नेता भी बताता है। लेकिन एजीपी ने इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। इसलिए इस बारे में कुछ भी कहना गलत होगा।
उल्लेखनीय है कि इस संबंध में हमारे पास कुछ वीडियोज भी आई हैं जो इस समय सोशल मीडिया पर भी शेयर की जा रही है। इस वीडियो में फैजुल स्कूटी लेकर भागते साफ नजर आ रहा है। वहीं, बुरी तरह घायल सनातन सड़क पर भीड़ के बीच बेबस पड़ा है। कुछ लोगों का इस मामले पर कहना है कि उनकी मौके पर ही मौत हो गई। वहीं कुछ बता रहे हैं कि अस्पताल पहुँचते हुए उन्होंने दम तोड़ा और बाद में पुलिस की निगरानी में इस मामले में पोस्टमार्टम हुआ। लेकिन इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या निकलकर आया, ये अभी किसी को मालूम नहीं है। मगर, पुलिस की पड़ताल इस मामले में जारी है।
इस दुख की घड़ी में सनातन डेका का परिवार बिलकुल अकेला पड़ चुका है। उनकी कोई औलाद नहीं है। उनके परिवार में उनकी पत्नी, उनके माता-पिता, और भाई है। इस समय उनकी मदद के लिए भले ही भास्कर ज्योति दास जैसे लोग दिन रात मदद में जुटे हैं और उनके लिए इंसाफ की माँग कर रहे हैं।