वाराणसी। कोरोना संकट में सरकार से धार्मिक ट्रस्टों में रखा सोना लेने की कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण की बात पर बवाल मचा हुआ है. धर्म गुरुओं में भी इस बात को लेकर आक्रोश है.
इस बीच, द्वादश ज्योतिर्लिंग में सर्वोपरि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार ने कड़ा फैसला लिया है. महंत परिवार ने पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार का प्रवेश काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्जित कर दिया है. साथ ही देश के अन्य ज्योतिर्लिंग के पुजारियों से आग्रह किया है कि वह ऐसा ही करें. काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने पृथ्वीराज चव्हाण को मानसिक रूप से विक्षिप्त भी बता डाला है.
कोरोना संकट में पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान कि सरकार को धार्मिक ट्रस्टों का सोना ले लेना चाहिए, पर बड़े-बड़े मंदिरों के महंत और पुजारी धर्म के ऊपर आघात के रूप में ले रहे वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा, ‘पृथ्वीराज का वक्तव्य सुनकर मैं हतप्रभ हूं. यह कांग्रेस की सरकार थी जब काशी विश्वनाथ मंदिर में चोरी कराकर इन लोगों ने अधिग्रहण करा लिया.’
डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा कि 1983 में काशी विश्वनाथ मंदिर में हुई चोरी में कांग्रेस मुख्य भूमिका में रही है. पृथ्वीराज चव्हाण अवसाद ग्रस्त हैं, वे मानसिक संतुलन खो चुके हैं या पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. मंदिर में भक्तों के चढ़ाए हुए दान, पुण्य और फल सरकार नहीं लेती है.
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय लिया है कि पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार को विश्वनाथ मंदिर में कतई प्रवेश करने का अधिकार नहीं है. देश के अन्य ज्योतिर्लिंग के महंतों से भी आग्रह है कि वह भी इनके प्रवेश पर रोक लगा दें. इनका बहिष्कार होना बहुत ही आवश्यक है. उन्होंने कहा कि मैं कदापि इनका मंदिर में प्रवेश होने नहीं दूंगा और न केवल अपने जीवन काल में ही बल्कि आगे की पीढ़ियों के लिए भी लिख जाऊंगा ताकि पृथ्वीराज चव्हाण और इनका परिवार विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश न करने पाए.