शेखर पण्डित
कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका के चीन पर खुलकर हमलावर होने के बाद अब यूरोपियन यूनियन के सुर भी बदलते नजर आ रहे हैं, चीन बीते दो हफ्तों में यूरोपियन यूनियन की एक रिपोर्ट को सार्वजनिक होने से रोक रहा था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद अब इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है, इस रिपोर्ट में कोरोना के मामले में चीन पर गलत सूचनाएं देने का आरोप लगाये गये हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक चीन नहीं चाहता था कि यूरोपियन यूनियन की इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए, कई यूरोपीय देश भी ऐसे माहौल में इस रिपोर्ट के सार्वजनिक किये जाने के खिलाफ थे, हालांकि यूरोरियन यूनियन की रिपोर्ट में इस तरह के आरोपों के बाद फिलहाल चीन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, ईयू की एक प्रवक्ता ने कहा कि इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती, ये हमारे पार्टनर्स और दूसरे देशों के बीच का मामला है, इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं है, मालूम हो कि ये रिपोर्ट 21 अप्रैल को ही जारी होनी थी, लेकिन चीनी अधिकारियों के दवाब की वजह से इसे जारी नहीं किया गया था।
मालूम हो कि इसी महीने फ्रांस राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिये एक इंटरव्यू में चीन पर आरोप लगाये थे, उन्होने कहा था कि चीनी सरकार चाहती, तो दुनिया में कोरोना तबाही को काफी हद तक कम किया जा सकता था, फ्रांस की ओर से आये इस बयान के बाद जर्मनी के चांसलर एंजेला मर्केल ने भी चीन को सहयोग देने की सलाह दी थी, हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि यूरोपीय देशों की सरकार अमेरिका की तरह फिलहाल चीन से पंगा लेने के लिये तैयार नहीं है, ज्यादातर देश मेडिकल उपकरणों, टेस्ट किट, पीपीई और दूसरे जरुरी सामानों के लिये चीन पर निर्भर है, इसके साथ ही चीन को शामिल किये बिना कोरोना की पूरी जानकारी हासिल करना नामुमकिन है और ये वैक्सीन बनाने में और अड़चनें पैदा कर सकता है।
चीन के उत्तर पश्चिमी इलाके शांग्जी में शनिवार को कोरोना के सात नये मामले सामने आये हैं, ये सभी सात लोग हाल ही में रुस से लौटे थे, चीन ने कोरोना से संक्रमण के मामले यूरोप के कई देशों और अमेरिका की तुलना में बेहद कम है, बाहर से आ रहे लोगों में संक्रमण के मामले चीन के लिये सिरदर्द बना हुआ है। कोरोना के फैलते संक्रमण की वजह से चीन ने मार्च में ही अपने देश में विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।