इस्लामाबाद। आर्थिक तंगी और कोरोना वायरस की दोतरफा मार झेल रहे पाकिस्तान ने चीन से 30 अरब डॉलर (2,10,000 करोड़ भारतीय रुपये) का कर्ज लौटाने की शर्तो में ढील देने की गुजारिश की है। चीन ने पाकिस्तान को यह कर्ज चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के अंतर्गत विद्युत व्यवस्था के लिए लिया है। सीपीईसी दोनों देशों को सड़क और रेलमार्ग से जोड़ने वाली परियोजना है। इसके अंतर्गत विद्युत परियोजनाएं भी स्थापित हो रही हैं। यह कॉरीडोर चीन के शिनजियांग प्रांत से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक है। यह बंदरगाह अरब सागर के तट पर बना है।
इस परियोजना के जरिये चीन को अपना माल पश्चिम एशिया के देशों में भेजना आसान हो गया है। यह परियोजना 2015 में शुरू हुई थी जब चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पाकिस्तान की यात्रा पर आए थे। इस परियोजना के तहत पाकिस्तान में हो रहे कार्यो पर चीन 50 अरब डॉलर खर्च कर चुका है। अब इसी कर्ज के एक हिस्से को लौटाने के सिलसिले में इमरान खान सरकार ने चीन से कर्ज लौटाने की शर्तो को आसान करने की गुजारिश की है। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने इस आशय की खबर प्रकाशित की है।
पाकिस्तान में कुछ अन्य विद्युत उत्पादकों से भी जरूरत की बिजली खरीदी जाती है। उसके बकाया भुगतान और सीपीईसी की विद्युत परियोजना के कर्ज को मिलाकर पाकिस्तान पर विद्युत मामलों की करीब 11 अरब डॉलर की देनदारी बन रही है। इससे तंगहाली का शिकार परेशान हो गया है। इतनी धनराशि उसके खजाने में भी नहीं है। पाकिस्तान ने जब अपनी समस्या से चीन के राजनीतिक नेतृत्व को अवगत कराया तो उसने इस सिलसिले में चीन के राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग (एनडीआरसी) से बात करने की सलाह दी।
एनडीआरसी सरकार के अंतर्गत कार्य करने वाली संस्था है। अब सीपीईसी का संयुक्त कार्य समूह और एनडीआरसी इस सिलसिले में बात करेंगे। बताया गया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की हाल की चीन यात्रा का एक प्रमुख मकसद कर्ज की वापसी में कुछ राहत पाना भी था। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान को चालू वर्ष में चीन को कर्ज वापसी की किश्त के रूप में 3.5 अरब डॉलर (करीब 25 हजार करोड़ भारतीय रुपये) की धनराशि देनी है। तंगहाल पाकिस्तान के लिए इतनी बड़ी धनराशि चुकाना बहुत मुश्किल है।