दयानंद पांडेय
ट्रंप के आने पर दिल्ली में हुई हिंसा को दिल्ली में जगह-जगह बसे मिनी पाकिस्तान का ट्रंप को सैल्यूट मान कर चलिएगा तो बात समझने में बहुत आसानी होगी। याद कीजिए जब क्लिंटन भारत आए थे तब पाकिस्तान की आईएसआई ने क्लिंटन को सैल्यूट मारते हुए कश्मीर में कितनी लाशें बिछाई थीं। और जब इस हिंसा को आईएसआई की जड़ों को भारत में मजबूत होते तथ्य की आंच में मोमबत्ती पिघला कर देखेंगे तो बात और समझ आएगी। और जब इस तथ्य को जब कोई मशाल जला कर देखेंगे तो पाएंगे कि मोदी सरकार मुस्लिम समाज से बेहद डरी हुई है इसीलिए शाहीन बाग पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करती। जाफराबाद को रोकने के लिए कपिल मिश्रा जैसे मौकापरस्त का उपयोग करती है। दिल्ली हिंसा को अगर मोदी सरकार चाहती तो एक घंटे क्या पांच मिनट में पूरी सख्ती से समेट सकती थी। अव्वल तो होने ही नहीं देती। लेकिन ट्रंप की अगवानी की आड़ में दिल्ली को तीन दिन दहकने दिया। हिम्मत इतनी बढ़ी दंगाइयों की कि शाहरुख जैसे कुछ मनबढ़ लोगों को पिस्तौल लेकर सरेआम फायरिंग करते हुए देखा गया।
अराजक और कट्टर मुस्लिम समाज से भाजपा की मोदी सरकार इसलिए भी डरी हुई है कि अगर कहीं कोई कड़ी कार्रवाई कर दी तो अभी तो दिल्ली सीरिया बनी हुई है, कहीं पूरा देश न सीरिया की राह पर चल दे। हर शहर में बसे मिनी पाकिस्तान में आईएसआई ने फंडिंग और रेडिकल इस्लामिक आतंक की नर्सरी बना ली है। और मोदी सरकार तीन तलाक, 370 और नागरिकता कानून के नशे में चूर समान नागरिक कानून और जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने के सपने में जीती रही। इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अभी भी मौका है कि वे भारत को सीरिया बनाने से बचाने की हर संभव कोशिश करें। इस्लामिक कट्टरता से उपजी हिंसा से बिना हिंदू, मुसलमान हुए पूरी सख़्ती से निपटने की जरूरत है। अभी तो दिल्ली दहकी है, बरास्ता जामिया, अलीगढ़ भी दहकाने के फिराक में हैं ये लोग। जरा भी चूक हुई तो समूचे देश को सीरिया की तरह दहकने में देर नहीं लगेगी। ट्रंप जैसे व्यवसाई लोगों से मिले सर्टिफिकेट काम नहीं आने वाले। जरूरत गुजरात वाली सख्ती की है, जिसके लिए दुनिया मोदी को जानती है।
समझ लीजिए कि दिल्ली गोधरा है और देश गुजरात। अभी गोधरा हुआ है और देश में बसे अनंत मिनी पाकिस्तान आईएसआई की फंडिंग से तर-बतर हैं। बस एक दियासलाई की तलब है। इस दियासलाई को फौरन से पेस्तर सीज कीजिए। और चाणक्य की तरह इन इस्लामिक कट्टरपंथियों की जड़ों में मट्ठा डालिए। नहीं देश को तबाह करने की कंप्लीट तैयारी हो चुकी है। पिच तैयार है। इस पिच पर खेलने की नहीं, इस पिच को पूरी तरह खोद देने की जरूरत है। एक-एक को चुन-चुन कर उन्हें मिनी पाकिस्तान में ही दफना देने की जरूरत है। आईएसआई की छाती में कील ठोंकने की तुरंत जरूरत है। बहुत हो गई मुफ्त गैस, मुफ्त शौचालय और मुफ्त आवास के खैरात की नौटंकी। लात के भूत बात से नहीं मानते, पुरानी कहावत है। सो अब तो इस कैंसर को कड़ी सर्जरी कर नेस्तनाबूद करने की घड़ी आ गई है। नमस्ते ट्रंप नहीं , तमाम-तमाम मिनी पाकिस्तान को नमस्ते कर देने की तलब है अब देश को।