नई दिल्ली/बीजिंग। नोवेल कोरोना वायरस के प्रकोप से घिरे चीन ने एक बार फिर गुरुवार को भारत के साथ एक शत्रुतापूर्ण मोर्चा खोल दिया है. बीजिंग ने अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा का दृढ़ता से विरोध किया है. चीन ने भारत को सीमा मुद्दे को पेचीदा करने के खिलाफ चेतावनी दी है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है. भारतीय राजनेता वहां ठीक उसी तरह से जाते हैं जिस तरह से अन्य राज्यों की यात्राएं करते हैं. किसी भारतीय राजनेता के भारत के किसी क्षेत्र में जाने पर किसी भी प्रकार की आपत्ति का कोई तुक ही नहीं है.
इससे पहले अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत की संप्रभुता को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बीजिंग में मीडिया को बताया, “चीनी सरकार ने तथाकथित ‘अरुणाचल प्रदेश’ को कभी मान्यता नहीं दी है और शाह की यात्रा का दृढ़ता से विरोध करते हैं.”
दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत क्षेत्र का एक हिस्सा मानता है. इसलिए वह प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर अपनी आपत्ति जताता रहा है.
गेंग ने कहा, “भारत-चीन के पूर्वी क्षेत्र या चीन के तिब्बत क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है.” गेंग ने कहा कि इस यात्रा ने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है. उन्होंने इसे क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन कहते हुए परस्पर राजनीतिक विश्वास तोड़ने जैसा बताया है. उन्होंने नई दिल्ली को ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा जो सीमा मुद्दे को और जटिल बना दे. गेंग ने कहा, “चीनी पक्ष भारतीय पक्ष से सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए ठोस कार्रवाई करने का आग्रह करता है.”
अरुणाचल प्रदेश 34 साल पहले 20 फरवरी को एक केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य बना था. यह क्षेत्र 1913-14 में ब्रिटिश भारत का हिस्सा था और औपचारिक रूप से तब शामिल किया गया था, जब 1938 में भारत और तिब्बत के बीच सीमा के तौर पर मैकमोहन रेखा स्थापित हुई थी.