नई दिल्ली। उत्तराखंड मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कारण प्रमोशन में रिजर्वेशन का मामला छाया हुआ है। पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के उस फ़ैसले को सही करारा दिया है, जिसमें इसे रोक दिया गया था। अब कॉन्ग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने इस पर राजनीति शुरू कर दी है। राहुल गाँधी ने पुराना राग अलापते हुए कह डाला कि सरसंघचालक मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिल कर आरक्षण को ख़त्म करना चाहते हैं। उन्होंने दावा कर दिया कि आरक्षण को कॉन्ग्रेस कभी भी ख़त्म नहीं होने देगी।
दरअसल, ये मामला न तो भाजपा से जुड़ा है और न ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का केंद्र सरकार या भाजपा से कुछ लेना-देना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि प्रमोशन में आरक्षण लेना मूलभूत अधिकारों के अंतर्गत नहीं आता। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हमनी गुप्ता की पीठ ने ये फ़ैसला सुनाया। साथ ही कोर्ट ने प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए राज्य सरकार को आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
अब आते हैं कॉन्ग्रेस के आरोपों पर। आज संसद में जब केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री थावरचंद गहलोत ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने 2012 में फ़ैसला लिया था कि वो प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं देगी, तो कॉन्ग्रेस सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। दरअसल, गहलोत ने सदन में कॉन्ग्रेस को सही आइना दिखाया क्योंकि ये मामला सितम्बर 2012 का है। उस समय विजय बहुगुणा के नेतृत्व में राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार चल रही थी। उसी सरकार ने निर्णय लिया था कि एससी-एसटी को आरक्षण दिए बिना राज्य में सारे सार्वजनिक पदों को भरा जाएगा।
Congress MPs walk out from Lok Sabha after Union Minister Thaawar Chand Gehlot said, “The case arised due to Uttarakhand Government’s 2012 decision to not implement reservation in promotions, in the state. In 2012 Congress was in power in Uttarakhand”. https://twitter.com/ANI/status/1226796872523665408 …
ANI✔@ANI
Social Justice & Empowerment Minister Thaawar Chand Gehlot in Lok Sabha on SC decision that reservations for jobs, promotions, is not fundamental right: Govt is holding high level discussions on the issue. I would like to make it clear that GoI was never made a party in the case.
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भारत सरकार इस मामले पर उच्च-स्तरीय बैठकों के जरिए चर्चा कर रही है। भारत सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कोई पक्ष थी ही नहीं। ऐसे में, कॉन्ग्रेस अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए निर्णय के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रही है। ये भी जानने लायक बात है कि तब कॉन्ग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा ने मई 2018 में भाजपा का दामन थाम लिया था। अब कॉन्ग्रेस अपने किए-धरे को छिपाने में जुटी है और संघ-भाजपा पर दोषारोपण कर रही है।