मुंबई। मेघा रे मेघा रे, चप्पा चप्पा चरखा चले, ए जिंदगी… जैसे सुपरहिट गाने देने वाले सिंगर सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar) को आज देश का सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री (Padma Shri) देने का ऐलान किया गया है. संगीत की दुनिया का जाना पहचाना नाम सुरेश वाडकर (Suresh Wadkar) जिन्होंने 1976 सपना म्यूजिकल करियर शुरू किया था उन्होंने मराठी, हिंदी के अलावा कई अन्य भाषाओं में उन्होंने गाने गाए हैं. अब यह सम्मान पाकर सुरेश काफी भावुक हो गए हैं.
सुरेश वाडकर अपने सम्मान के लिए भारत सरकार और अपने चाहने वालों का शुक्रिया अदा करते हैं और इस सम्मान को अपने परिवार माता-पिता और गुरु आचार्य जियालाल वसंत जी को समर्पित करते हैं. 45 वर्षों से संगीत की दुनिया में शास्त्रीय संगीत गायकी, अपनी आवाज से लोगों को दीवाना बनाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुरेश वाडकर इस सम्मान से काफी खुश हैं. लेकिन वह सबसे ज्यादा धन्यवाद को मोदी सरकार को देते हैं.
पद्मश्री सुरेश वाडकर ने कहा, ”पिछले कई दशकों से मैं इंडस्ट्री के लिए काम कर रहा हूं. मेरे जूनियर्स को भी पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. कई बार इस तरह की भावनाएं मन में उठती थीं, कि क्या मेरा काम लोगों को नजर नहीं आ रहा है? क्या मैं अच्छा काम कर रहा हूं या नहीं कर रहा हूं? इससे मन व्यथित हो जाता था. लेकिन अब जबकि मोदी सरकार और हमारी देश की सरकार ने मेरे काम को परखा है और सम्मानित किया है. इसलिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं.”
सुरेश वाडकर ने यह भी कहा, ”पिछले कई दशकों के मुख्यमंत्री, गृह मंत्रियों से भी मेरे अच्छे संबंध थे. लेकिन किसी ने भी मुझे रिकमेंड नहीं किया. अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है और सेंट्रल गवर्नमेंट ने मुझे यह सम्मान दिया है तो मैं उन्हें हाथ जोड़कर धन्यवाद देता हूं. उन्होंने मुझे अभिभूत कर दिया है.”
सुरेश वाडकर आगे कहते हैं, ”फिल्म इंडस्ट्री ने उनका हमेशा से साथ दिया है. सपोर्ट किया है. खासतौर पर स्वर कोकिला लता मंगेशकर हमेशा से मेरी मेंटर की तरह रही हैं. इतना ही नहीं पिछले 20 वर्षों से मुझे पद्मश्री दिलवाने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट को उन्होंने कई बार पत्र लिखे.”
सुरेश वाडकर के अनुसार अभी कुछ समय पहले ही लता दीदी ने सुरेश वाडकर से कहा था, ”मैं पत्र लिख लिख कर थक गई हूं. पता नहीं क्यों लोग तुम्हें यह सम्मान नहीं दे रहे हैं. आज मैं लता दीदी के लिए भी खुश हूं कि उन्होंने जो सपना देखा था वह पूरा हुआ और भारत सरकार ने मुझे यह सम्मान दिया है.”
सुरेश वाडकर का जन्म 7 अगस्त 1995 कोल्हापुर में हुआ था. उन्हें बचपन से ही गायकी का शौक था. जिसकी वजह से मराठी फिल्म ‘गमन’ से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की. लेकिन हिंदी गाना ‘सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यों है…’ ने उन्हें पहचान दिलाई.