राजेश श्रीवास्तव
बीते एक सप्ताह से भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान के निर्देश पर सभी राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश में संगठन व सरकार के नुमाइंदों, पदाधिकारियों, मंत्रियों, विधायकों, सांसदों व रणनीतिकारों को बाकायदा तैनाती देकर आदेश दिया गया है कि वह जनजागरण कर, लोगों से मिलकर अपने-अपने क्ष्ोत्र या एलॉट किये गये क्ष्ोत्र में लोगों को नागरिकता संशोधन कानून पर समझाएं। मसलन – आम जनता को यह भी बताएं कि यह कानून दरअसल भारत के लोगों के लिए है ही नहीं, इस कानून का भारत के लोगों से कोई मतलब ही नहीं है। यह कानून तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लिए है। वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं को भारत की नागरिकता देने के लिए यह कानून बनाया गया है। यह भी बताने का निर्देश हुआ है कि इस कानून का पहली बार संशोधन नहीं किया गया है बल्कि इस बार तो बाकायदा कमेटी बनाकर किया गया जिसमें सभी की सहमति ली गयी। फिलहाल भाजपा की सेना इन दिनों क्ष्ोत्र में जमीन पर सबको इस कानून की बारीकियां समझा रही हैं। उसके इस कदम से फिलहाल नागरिकता संशोधन कानून पर व्याप्त आक्रोश, विपक्ष का दिखाया भ्रम और भय लोगों में कम होता दिख रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा के इस कदम से फिलहाल समाज में तनाव कम हुआ है और माहौल धीरे-धीरे शांत होता जा रहा है।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी जो अब कर रही है वह उसे कानून लाने के तुरंत बाद करना चाहिए था लेकिन पार्टी ने तब कोई सफाई नहीं दी जब मीडिया में बार-बार यह कहा गया कि सरकार इस कानून के बारे में लोगों को जानकारी दे तब भी सरकार के रणनीतिकार नहीं जागे या फिर यूं कहें कि जान-बूझकर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। जब विपक्ष या फिर यूं कहें कि भ्रमवश लोगों में पनपे आक्रोश के चलते पूरे देश में हिंसा ने कहर बरपा दिया और कई लोग मारे गये, कई घायल हुए। पूरे देश में अराजकता का माहौल हो गया। सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ। हिंदू और मुस्लिम आपस में बंट गया तब भाजपा के लोग सामने निकल कर आये। जानकारों की मानें तो इस रणनीति के दो ही मायने हैं या तो भाजपा यह जानती थी कि इस तरह की राजनीति विपक्ष करेगा लेकिन उसको रोकने में भाजपा को कोई फायदा नहीं था। विपक्ष ने जितना मुस्लिम के पक्ष में खड़ा होने की कोशिश दिखायी उतनी ही भाजपा को ऊर्जा मिलती गयी। भाजपा के भी हिस्से में यह लाभप्रद रहा कि हिंदू-मुस्लिम में बंटी सियासी दलों का धड़े में बंट जाना उसकी पार्टी लाइन को खासा मुफीद दिखने लगा और उसे अनजाने में ही पूरे हिंदू समुदाय का समर्थन मिल गया। भाजपा को यह पता है कि एक समुदाय विश्ोष उसका खास समर्थन कभी नहीं करता ऐसे में वह अपने मूल आधार को और समेटना चाहती है।
दरअसल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस आदि विपक्षी दल जिस तरह की राजनीति करते हैं उसमें मुस्लिम को काफी तरजीह मिलती है। यही नहीं, भाजपा इन लोगों के साथ खड़े हिंदुओं को भी इसी तीर से अपने पाले में करना चाहती है। क्योंकि सपा का मूल वोट बैंक (माई) समीकरण यानि मुस्लिम-यादव। यानि यादवों या पिछड़ा वर्ग को भाजपा अपने पाले में देखना चाहती है। इसी तरह बसपा के मूल आधार दलित वोट बैंक में भी भाजपा सेंध लगाना चाहती है। इन सबमें उसे खासा लाभ मिल चुका है। लिहाजा अब भारतीय जनता पार्टी ने जब देखा कि अब मामला पूरी तरह उसके पक्ष में भुनाया जा चुका है तब पार्टी ने पूरी पार्टी को नागरिकता संशोधन कानून पर सही पक्ष रखने को कहकर पार्टी ने यह संदेश भी दिया कि विपक्ष ने सबको भ्रम फैलाकर भय दिखाया । दूसरे अगर पार्टी यह कहे कि उसे यह पता नहीं था कि विपक्ष लोगों में इस तरह की ओछी राजनीति करेगा वरना वह पहले ही इस तरह की मुहिम चलाती, यह पार्टी की विजिलेंस टीम की कमजोरी है कि उसे इस तरह का भान नहीं हुआ कि वह इस तरह का काननू बनायेगी और विपक्ष शांत बैठा रहेगा। कुल मिलाकर भाजपा इस मामले में भी फायदे में ही है।