दयानंद पांडेय
तरह-तरह की तमाम बातें जो सामने आ रही हैं , उन से पता चलता है कि सत्ता की आदती रही कांग्रेस सत्ता से विछोह बर्दाश्त नहीं कर पा रही। सो कांग्रेस की मति मार गई है। बुरी तरह। उस के सारे पास उलटे पड़ते जा रहे हैं। नागरिकता बिल पर मुसलमानों को भड़का कर उपद्रव करवाने में वह नंगी हो चुकी है। भगवा आतंक से छुट्टी मिली भी नहीं थी कि अब वह भगवा की पैरोकार हो गई। जैसे यह कम पड़ रहा था कि सावरकर और गोडसे का होमो पक्ष भी खोज लाई। गुड है। अब कोई भाजपाई नेहरू के पी ए रहे एम ओ मथाई की किताब हिंदी में छाप कर परोस दे तो ? नेहरू और इंदिरा गांधी के तमाम सेक्स किस्से खोल कर बैठ जाए तो ? ऐसे तमाम किस्से तो सोनिया , प्रियंका के भी कई सारे हैं। वाइफ स्वैपिंग तक के किस्से हैं। जवाब देते नहीं बनेगा कांग्रेस और प्रियंका को। अरुण सिंह की याद है किसी को ? कहां हैं अब ? कितने लोग जानते हैं ? ऐसे बहुतेरे किस्से हैं। फिर शाहरुख खान आदि-इत्यादि जैसे लोग भी हैं इस किस्से में। फिर अपने राहुल गांधी की तो बात ही और है। पूरे कथा सागर हैं।
संसद का एक किस्सा याद आता है।
उस दिन उमा भारती ने सोनिया पर हमला सा बोल दिया था। उमा भारती के हाथ में रीता बहुगुणा जोशी की एक किताब थी। उमा भारती रीता बहुगुणा जोशी की किताब से कुछ अप्रिय पढ़ने ही जा रही थीं कि अचानक चंद्रशेखर खड़े हो गए। चंद्रशेखर जी ने कहा कि उमा जी , आप बैठ जाइए। उमा भारती से कहा कि संसद किताबों और अखबारों से नहीं चलती। संसद संसदीय परंपरा और नियमों से चलती है। आज आप सोनिया जी के बारे में किसी किताब से कुछ पढ़ना चाहती हैं। कल को किसी अख़बार के हवाले से कोई आप के बारे में कुछ पढ़ेगा। फिर कोई , कुछ और। संसद ऐसे नहीं चल सकती। संसदीय गरिमा का कुछ ध्यान रखिए। गौरतलब है उन्हीं दिनों उमा भारती और गोविंदाचार्य का प्रेम प्रसंग चर्चा में आ कर जा चुका था। उमा भारती ने नींद की गोलियां खा कर जान देने तक की कोशिश की थी। बद्रीनाथ की गुफाओं में जा कर कुछ दिन तक रही थीं। इस लिए उमा भारती फ़ौरन बात समझ गईं और शांत बैठ गईं। तो कांग्रेस और नेहरू गांधी परिवार की सेक्स कथाओं का तो बहुत बड़ा पिटारा है। भाजपा अगर उस पर उतर आई तो क्या होगा भला ? धरती न फट जाएगी।
आप को याद ही होगा 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब नरेंद्र मोदी भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के प्रस्तावित उम्मीदवार हुए तो दिग्विजय सिंह बड़े ज़ोर-शोर से नरेंद्र मोदी की पत्नी यशोदाबेन का किस्सा ले कर कौआ की तरह उड़ पड़े। कि नरेंद्र मोदी तो विवाहित हैं। पत्नी अलग रहती हैं। फिर समूची कांग्रेस यशोदाबेन , यशोदाबेन का पहाड़ा पढ़ने लगी। जैसे कोई और मुद्दा ही नहीं था। जो भी था यशोदाबेन का ही मुद्दा था। परित्यक्ता यशोदाबेन। यशोदाबेन को मोदी से कोई शिकायत आज तक नहीं हुई। पर कांग्रेस बहुत दिनों तक यशोदाबेन के किस्से में डूबी रही। बीच में साहब और लड़की वाला किस्सा भी चला। बड़े सस्पेंस के साथ सवाल उछाला जाता रहा कि यह साहब कौन है ? पर उधर से भी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई। न कोई सांस , न कोई सुराग।
लेकिन एक दूसरी घटना अचानक घट गई। राज्यसभा टी वी की पत्रकार अमृता राय और दिग्विजय सिंह की प्रेम में आशक्त , अंतरंग फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। एक नहीं , कई सारी फोटो। किस ने करवाईं यह अंतरंग फोटो वायरल , यह भी बताने की ज़रूरत है क्या। हुआ क्या कि अमृता राय का कंप्यूटर हैक करवाना पड़ा। बस। फिर सोनिया , प्रियंका या राहुल के किस्सों को बाज़ार में उछालने के लिए किसी कंप्यूटर को हैक भी करने की ज़रूरत नहीं है। सब कुछ पब्लिक डोमेन में है। बस तरतीब भर देना है। बहरहाल , दिग्विजय सिंह को मज़बूर हो कर अमृता राय से विवाह करना पड़ा। पर यह लोग क्या करेंगे भला ?
अच्छा बस यही एक मोर्चा तो नहीं है न !
बताइए भला कि राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत कह रहे हैं कि कोटा में मर रहे बच्चों का मसला भाजपा नागरिकता बिल से ध्यान हटाने के लिए उठा रही है। वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का हवाला दिए जा रहे हैं। यह हो क्या गया है कांग्रेस को ?
आप को मालूम ही होगा कि आधार कार्ड , जी एस टी , एन आर पी , एन आर सी यह सारे कांग्रेस सरकार के ही प्रोडक्ट हैं। कांग्रेस ने ही यह सब पेश किया। अब भाजपा की मोदी सरकार ने इन सब पर हाथ लगा दिया है तो कांग्रेस को करंट क्यों लग गया है भला ? देश के मुसलमानों को भड़का कर देश में आग लगाने की रणनीति आखिर क्या कहती है ?
कहा न कांग्रेस की मति मारी गई है।