सुरेन्द्र किशोर
बिहार से राज्य सभा के सदस्य गंगा शरण सिंह ने गांधी, नेहरू, जयप्रकाश सहित अनेक दिग्गज नेताओं को करीब देखा था। गंगा बाबू के पास बड़े- बड़े नेताओं के बारे में तरह -तरह के संस्मरणों का खजाना था। कुछ संस्मरण मैंने भी गंगा बाबू से सुने थे। किसी ने एक बार उनसे पूछा था कि आप उन संस्मरणों को लिख क्यों नहीं देते ?
गंगा बाबू का जवाब था कि यदि सच -सच लिख दूं तो जिन नेताओं को आप स्वर्गीय कहते हैं ,उन्हें आप ‘नारकीय’ कहते लगेंगे। यानी दिवंगत गंगा बाबू किसी की निजी जिंदगी को सार्वजनिक करना नहीं चाहते थे। उनके सार्वजनिक जीवन को वे प्रभावशाली मानते थे।हालांकि सब लोग गंगा बाबू जैसे संयमी नहीं हैं। वीर सावरकर पर कांग्रेस की ओर से ऐसी पुुस्तिका आई है कि उस पर आपत्ति हो रही है । इस प्रसंग में मुझे एस.गोपाल और एम.ओ.मथाई की पुस्तकों की याद आ गई। जवाहरलाल नेहरू के 13 साल तक निजी सचिव रहे मथाई की किताब में दर्ज विस्फोटक जानकारियों के सामने सावरकर वाली जानकारी कुछ भी नहीं है।इस प्रसंग में मुझे एस.गोपाल और एम.ओ.मथाई की पुस्तकों की याद आ गई। जवाहरलाल नेहरू के 13 साल तक निजी सचिव रहे मथाई की किताब में दर्ज विस्फोटक जानकारियों के सामने सावरकर वाली जानकारी कुछ भी नहीं है।
यदि उन और उन जैसी अन्य विस्फोटक पुस्तकों की जानकारियां बाहर आने लगेंगी तो नेहरू-गांधी परिवार को उल्टा पड़ेगा। बहुत सारी विवादास्पद जानकारियां तो मेरे पास भी हैं। पर, मैं उनमें नहीं पड़ता। पर सावरकर के परिजन व प्रशंसक तो नहीं मानेंगे। पता नही,ं कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को ऐसी -ऐसी आत्मघाती सलाह कौन देता है ?