Maharashtra Govt Formation LIVE: एनसीपी बोली, कांग्रेस का जो भी निर्णय होगा उसके बाद करेंगे कोई फैसला

मुंबई/नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को न्योता दिया है। राज्‍यपाल ने शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे से आज यानी सोमवार शाम 7.30 बजे तक उनकी पार्टी की इच्छा और बहुमत के आंकड़े की जानकारी देने के लिए कहा है। इसके साथ ही शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के खेमे में गतिविधियां तेज हो गई हैं। केंद्रीय मंत्री एवं शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने अपने इस्‍तीफे का एलान किया है। वहीं शरद पवार Sharad Pawar ने कहा है कि मेरे पास किसी के इस्तीफे के बारे में कहने के लिए कोई शब्द नहीं है। हम एक ही बात कहेंगे कि जो भी फैसला लेना है वह कांग्रेस के साथ चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।

– कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बैठक में महाराष्‍ट्र में सरकार बनाने के मसले पर चर्चा हुई। हम शाम को महाराष्‍ट्र के नेताओं के साथ बैठक करके ही कोई फैसला लेंगे।

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Congress leader Mallikarjun Kharge after party’s Working Committee meeting ends: We have called our Maharashtra leaders to Delhi for further discussions, the meeting will be at 4 pm. https://twitter.com/ANI/status/1193751322060656640 

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Delhi: Senior Congress leaders Ahmed Patel, KC Venugopal, and Mallikarjun Kharge arrive for Congress Working Committee (CWC) meeting at party interim President Sonia Gandhi’s residence, over the political situation in Maharashtra. https://twitter.com/ANI/status/1193734471444357120 

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राउत ने राज्‍यपाल पर साधा निशाना 

इस बीच शिवसेना ने सरकार नहीं बन पाने का ठीकरा भाजपा पर फोड़ दिया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि यह भाजपा का अहंकार है कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने से इनकार कर रही है। यह महाराष्ट्र के लोगों का अपमान है। भाजपा विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं लेकिन वे 50-50 का फॉर्मूला मानने के लिए राजी नहीं है। सरकार बनती न देख शिवसेना ने राज्‍यपाल पर भी निशाना साधा। राउत ने कहा कि यदि राज्यपाल ने हमें अधिक समय दिया होता तो सरकार बनाना आसान होता। राज्‍यपाल ने भाजपा को 72 घंटे दिए गए। हमको कम समय दिया गया है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना भाजपा की साजिश है। राउत ने यह भी कहा कि यदि भाजपा जम्‍मू-कश्‍मीर में पीडीपी से हाथ मिला सकती है तो शिवसेना राकांपा और कांग्रेस के साथ सरकार क्‍यों नहीं बना सकती है।

एनसीपी ने रखी शर्त, बैठकों का दौर 

दिल्‍ली में अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी (Congress Working Committee, CWC) की बैठक चल रही है। इसमें भाग लेने के लिए अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे पहुंचे हैं। एनसीपी भी इस मसले पर बैठक कर रही है। शिवसेना नेता संजय राउत भी उद्धव ठाकरे से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि राज्‍यपाल के निमंत्रण के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। सूत्रों की मानें तो एनसीपी ने शिवसेना के सामने यह शर्त रखी है कि पहले वह भाजपा से सभी रिश्ते खत्‍म करे और मोदी सरकार में शामिल उनके मंत्री इस्तीफा दें तभी सरकार बनाने के लिए समर्थन देने पर सोचेंगे। वहीं कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिलने की बात कहते हुए किसी को समर्थन देने पर अंतिम निर्णय अपने आलाकमान पर छोड़ दिया है।

सावंत ने किया इस्‍तीफे का एलान 

केंद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री एवं शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने मंत्री पद से इस्‍तीफा देने का एलान किया है। उन्‍होंने कहा कि मैं अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं। थोड़ी ही देर में उनकी प्रेस कांफ्रेंस होनी है। असल में एनसीपी साफ कर चुकी है कि शिवसेना एक साथ दो गठबंधनों में नहीं रह सकती है। मान जा रहा है कि शायद इसी वजह से सावंत ने इस्‍तीफे का एलान किया है। वहीं कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे Mallikarjun Kharge  ने कहा कि सुबह 10 बजे पार्टी की बैठक है। हम हाईकमान से निर्देश के आधार पर आगे बढ़ेंगे। जनादेश के मुताबिक, हमें विपक्ष में बैठना चाहिए, यही मौजूदा हालात है।

हर हाल में चाहिए कांग्रेस का समर्थन 

कांग्रेस के कई नेता शिवसेना से दूरी बनाकर रखने के लिए लगातार आगाह कर रहे हैं। दरअसल, शिवसेना भले ही सरकार बनाने का दम भरे लेकिन बहुमत के लिए 145 सदस्यों का जरूरी आंकड़ा उसके पास भी नहीं है। शिवसेना के 56 विधायक हैं, जबकि 8 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया है। इस तरह उसके पास 64 विधायकों का समर्थन है। एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। एनसीपी और शिवसेना की संख्‍या जोड़ दें तब भी सरकार नहीं बनेगी। दोनों पार्टियों के पास 118 विधायक हो रहे हैं यानी शिवसेना को सरकार बनाने के लिए हर हाल में कांग्रेस का समर्थन चाहिए।

निरूपम बोले, 2020 में होंगे चुनाव 

राज्‍य में जारी सियासी सरगर्मी के बीच कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने शिवसेना की कवायदों पर परोक्ष रूप से करारा हमला बोला है। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा कि यह बात मायने नहीं रखती की कौन और कैसे सरकार बना रहा है। बड़ी बात यह कि राज्‍य में सियासी अस्थिरता को खारिज नहीं किया जा सकता है। ऐसे में जल्‍द चुनाव के लिए तैयार रहिए जो साल 2020 में हो सकते हैं। उन्‍होंने यह भी सवाल उठाया कि क्‍या कांग्रेस शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। इससे पहले निरूपम ने संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) को आईना दिखाते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी सरकार महज कल्पना है। यदि हम शिवसेना का समर्थन लेते हैं तो यह कांग्रेस के लिए बेहद घातक कदम होगा।

पीछे हटना भाजपा की बड़ी रणनीति

इस बीच देवेंद्र फडणवीस के आवास पर भाजपा कोर ग्रुप की बैठक हो रही है जिसमें भावी रणनीति पर मंथन होगा। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार बनाने से पीछे हटना भाजपा की बड़ी रणनीति है। यदि शिवसेना भाजपा से अलग होकर सरकार बनाती है तो उस पर गठबंधन तोड़ने का ठप्पा लगेगा। इसके साथ ही भाजपा को उसके खिलाफ बोलने का अवसर मिल जाएगा। सनद रहे कि साल 2014 विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा हो चुका है। दूसरी ओर शिवसेना यदि कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाकर सरकार बनाती है तो यह गठबंधन बेमेल होगा क्‍योंकि इन पार्टियों की विचारधारा विपरीत है। भाजपा इसे लेकर भी शिवसेना पर वार करेगी।

…तो राज्‍यपाल के पास क्‍या होंगे विकल्‍प 

महाराष्‍ट्र के 59 वर्षों के राजनीतिक इतिहास में केवल दो बार ही राष्ट्रपति शासन रहा है। साल 1980 में फरवरी से जून और इसके बाद साल 2014 में सितंबर से अक्टूबर तक तक राष्ट्रपति शासन था। विश्‍लेषकों की मानें तो यदि शिवसेना ने भी बहुमत का जरूरी आंकड़ा नहीं जुटा पाया तो राज्यपाल के पास राष्‍ट्रपति शासन लगाने का ही विकल्‍प शेष होगा। कांग्रेस ने खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते अपने विधायकों को राजस्थान भेज दिया है। बीते दिनों कांग्रेस ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था।

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