नई दिल्ली। INX मीडिया (INX media) हेराफेरी के सीबीआई (CBI) केस में पी चिदंबरम (P Chidambaram) की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज (शुक्रवार को) सुनवाई होगी. इसके साथ ही आज सर्वोच्च अदालत में पीएमसी में पैसे निकालने पर लगी रोक के खिलाफ़ याचिका पर, संत रविदास मंदिर के तोड़े जाने के मामले को लेकर और असम में NRC लागू होने के बाद पहली सुनवाई होनी है.
INX मीडिया हेराफेरी: पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई
आपको बता दें कि सीबीआई (CBI) चिदंबरम की जमानत (bail) का विरोध कर रही है. सीबीआई का कहना है कि इस मामले की जांच अभी चल रही है. चिदंबरम (Chidambaram) बेहद प्रभावशाली व्यक्ति हैं, वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. सीबीआई ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में माना है कि पी चिदंबरम गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. सीबीआई ने कहा है कि पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने दो गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की. ऐसे में उनकी जमानत याचिका (bail plea) खारिज होनी चाहिए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दरअसल, इसी केस में चिदंबरम दिल्ली की तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद हैं. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि वह कभी भी इन्द्राणी मुखर्जी से नहीं मिले. यहां तक कि सीबीआई कस्टडी के दौरान मुझसे कहा गया था कि पीटर हमसे मिले थे इंद्राणी नहीं. ये खुद पीटर ने अपने बयान में कहा था.
ऐसा एजेंसी के अधिकरियों ने कहा था कि इसके अलावा विज़िटर्स बुक भी चेक कर सकते हैं कि इंद्राणी से हमारी मुलाकात नहीं हुई है. सीबीआई का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ये मनी लॉन्ड्रिंग केस का क्लासिक एक्सएम्पेल है. इसी केस को हाई कोर्ट ने समझते हुए अग्रिम जमानत याचिका आरोपी का खारिज किया था. उन्होंने आगे कहा था कि पैसा एडवांटेज कंपनी में आया, आगे उसी की अन्य कंपनी ASCPL का इस्तेमाल किया गया, मोहन और राजेश जोकि ASCPL के डायरेक्टर हैं, कंपनी के 66% शेयर ट्रांफर किए गए, ये दोनों चिदंबरम के फैमिली फ्रेंड हैं.
पीएमसी में पैसे निकालने पर लगी रोक के खिलाफ़ याचिका पर सुनवाई
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) में पैसे निकालने पर लगी रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शुक्रवार को सुनवाई करेगा. दरअसल, दिल्ली (Delhi) के रहने वाले बीके मिश्रा ने यह याचिका दायर की है. याचिका (petition) में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि कुछ लोगों की कारगुजारियों की वजह से लोगों का धन फंस जाने जैसे वित्तीय संकट उत्पन्न होने की स्थिति में बैंक और जमा राशियों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. याचिका में 15 लाख खाताधारकों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए उनके लिए 100 प्रतिशत इंश्योरेंस कवर की मांग की गई है.
गौरतलब है कि पीएमसी 11,600 करोड़ रुपये से अधिक जमा के साथ देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में से एक है लेकिन इसके बावजूद पीएमसी (PMC) के जमाकर्ता अपने बैंक से धन नहीं निकाल पा रहे हैं क्योंकि बैंक की स्थिति को देखते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं.
असम में NRC लागू होने के बाद पहली सुनवाई
असम में NRC लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को पहली सुनवाई होगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि NRC डाटा में आधार (Aadhar) की तरह गोपनीयता बनाए रखी जाएगी. 31 अगस्त को फ़ाइनल एनआरसी (NRC) प्रकाशित होगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने असम NRC के फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने की समयसीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी थी. पहले ये समयसीमा 31 जुलाई तक थी. हालांकि कोर्ट ने NRC ड्राफ्ट में जगह पाए लोगों की भी दोबारा समीक्षा की केंद्र और राज्य सरकार की मांग ठुकरा दी थी. केंद्र और राज्य सरकार ने सीमावर्ती जिलों में 20% की दुबारा जांच की मांग की थी.
संत रविदास मंदिर तोड़े जाने के मामले को लेकर सुनवाई
संत रविदास मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने समाधान के संकेत देते हुए याचिकाकर्ताओं कांग्रेसी नेता अशोक तंवर और प्रदीप जैन से मामले में समाधान लेकर आने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तुगलकाबाद स्थित संत रविदास मंदिर को गिरा दिया गया था. इसके बाद दिल्ली और आसपास के कई जिलों में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे और फिर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर की गई थी.
दरअसल, हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि मंदिर 600 साल से भी ऊपर पुरानी है लिहाजा इस पर नए कानून लागू नहीं होते.याचिका में पूजा के अधिकार और आर्टिकल 21ए का भी हवाला दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी मंदिर तोड़ने का आदेश नहीं दिया बल्कि उसे शिफ्ट करने की बात कही थी और जिस तरह से मंदिर को तोड़ा गया वह बड़ी साजिश का हिस्सा है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट अपने फैसले में पुनर्विचार करें और मंदिर के निर्माण का आदेश पारित करें. याचिका में कई पौराणिक तथ्यों का हवाला दिया गया है.