क्रिकेट (Cricket) से संन्यास लेने के बाद पहली बार युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने अपने दिल की बातें दुनिया से साझा की हैं. उन्होंने एक न्यूच चैनल से बात करते हुए कहा, ”मुझे दुख होता है कि 2011 के बाद मैं एक और विश्व कप नहीं खेल सका. टीम प्रबंधन और इससे जुड़े लोगों से मुझे मुश्किल से ही कोई सहयोग मिला. अगर उस तरह का समर्थन मुझे मिलता तो शायद मैंने एक और विश्व कप खेल लिया होता.” उन्होंने कहा, ”लेकिन जो भी क्रिकेट मैंने खेला, वो अपने दम पर खेला. मेरा कोई ‘गॉडफादर’ नहीं था.”
पूर्व भारतीय बल्लेबाज युवराज सिंह ने कहा कि फिटनेस के लिये अनिवार्य ‘यो-यो टेस्ट’पास करने के बावजूद उनकी अनदेखी की गई. उन्होंने कहा कि टीम प्रबंधन को उनसे पीछा छुड़ाने के तरीके ढूंढने के बजाय उनके करियर के संबंध में स्पष्ट बात करनी चाहिए था.
युवराज ने कहा, ”मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे 2017 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद आठ से नौ मैच में से दो में मैन आफ द मैच पुरस्कार जीतने के बाद मुझे टीम से बाहर कर दिया जायेगा. मैं चोटिल हो गया और मुझे श्रीलंका सीरीज की तैयारी के लिये कहा गया.”
उन्होंने कहा, ”अचानक ही मुझे वापस आना पड़ा और 36 साल की उम्र में ‘यो-यो टेस्ट’ की तैयारी करनी पड़ी. यहां तक कि ‘यो-यो टेस्ट’पास करने के बाद मुझे घरेलू क्रिकेट में खेलने को कहा गया. उन्हें ऐसा लगा था कि मैं इस उम्र में इस टेस्ट को पास नहीं कर पाऊंगा. इससे उनके लिये मुझे बाहर करने में आसानी हो जाती.”
युवराज ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था क्योंकि जिस खिलाड़ी ने 15-16 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला हो, उसे आपको सीधे बैठकर बात करनी चाहिए. किसी ने भी मुझे कुछ नहीं कहा, न ही किसी ने वीरेंद्र सहवाग या जहीर खान से ऐसा कहा. ’’
युवराज ने कहा, ”मैं संन्यास को लेकर पसोपेश में था. मेरी कुछ साल पहले शादी हुई थी, इसलिये मैं घर पर भी ध्यान देना चाहता था. मेरे लिये कैरियर का समापन थोड़ा बोझ बनता जा रहा था.”
उन्होंने कहा, ”अगर मुझे भारत से बाहर लीग में खेलना था तो मुझे संन्यास लेना पड़ता तो मैंने सोचा कि यह सही समय होगा. चीजें सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही थीं इसलिये मैंने सोचा कि युवाओं के लिये टीम को आगे बढ़ाने का यह सही समय है और मेरे लिये संन्यास लेना सही होगा.”