पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार (सितंबर 27, 2019) को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में अपने पहले संबोधन में कश्मीरी प्रोपेगेंडा को हवा दिया। ग्लोबल वॉर्मिंग से भाषण शुरू करने वाले इमरान खान की सुई कश्मीर पर जाकर अटक गई। यूएन में पाकिस्तान का नापाक चेहरा एक बार फिर सामने आया। इमरान खान ने एक तरह से धमकी देते हुए कहा कि कश्मीर से कर्फ्यू हटते ही युद्ध जैसे हालात बनेंगे। खान का युद्ध राग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उसी मंच से कुछ समय पहले दिए गए शांति संदेश के ठीक उलट था। पीएम मोदी ने कहा था कि भारत एक ऐसा देश है, जिसने विश्व को ‘‘युद्ध नहीं बुद्ध’’ दिए।
शर्मिंदगी की बात ये है कि अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी भिखारियों की तरह चंद डॉलरों के लालच में पाकिस्तान का साथ दिया और झूठा एवं मनगढ़ंत अभियान चलाया। दरअसल, शुक्रवार (सितंबर 27, 2019) को न्यूयॉर्क टाइम्स में कश्मीर को लेकर एक विज्ञापन छापा गया। जहाँ ये बताया गया कि कैसे कश्मीरियों के साथ जुल्म हो रहा है। बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे खबर के तौर पर नहीं, बल्कि विज्ञापन के तौर पर छापा। जिसमें ये दिखाने की कोशिश की गई कि भारत किस तरह कश्मीरियों को दबाकर कश्मीरी लोगों के साथ जुल्म कर रहा है। खबर के मुताबिक, इस विज्ञापन को इंटरनैशनल ह्यूमैनिटैरियन फाउंडेशन ने स्पॉन्सर किया है, जिसके केन्या, इंडोनेशिया और थाइलैंड में ऑफिस हैं।
इस विज्ञापन में पाकिस्तान के झूठे बयान को दिखाया गया है, जबकि पाकिस्तान में ईसाइयों, हिंदुओं, शियाओं, अहमदियों और गुलाम कश्मीर के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के ट्रैक रिकॉर्ड को नजरअंदाज करने के साथ ही जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खुले तथ्य को पूरी तरह से छुपाया गया है। इस तथ्यहीन विज्ञापन में दावा किया गया है कि भारत सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से लोगों को बंदी बना कर रखा गया है। जबकि वास्तविकता में यहाँ पर संचार व्यवस्था की बहाली के बाद सामान्य स्थिति वापस आ रही है। जम्मू कश्मीर के पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन 26 सितंबर को अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो शेयर करते हुए इसकी पुष्टि की थी और कहा था कि प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के दिमाग के अलावा कहीं भी बंद या प्रतिबंध नहीं है।
इसके अलावा इस विज्ञापन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा आरएसएस का पूरे देश में फैलने के बयान का भी उल्लेख है, मगर पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से काम कर रहे कई आतंकी समूहों के बारे में या इस मसले पर विज्ञापन ने चुप्पी साध रखी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने विज्ञापन में लिखा कि कश्मीर में अब तक सुरक्षाबलों के हाथों 60000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दस लाख से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। एक जिम्मेदार (जो कि कहीं से भी यह शायद अब रहे नहीं!) पब्लिकेशन हाउस के नाते न्यूयॉर्क टाइम्स को ये बताना चाहिए कि आखिर जो आँकड़े उन्होंने छापे हैं वो कहाँ से आए? किस जगह ये आँकड़े छपे हैं कि कश्मीर से आर्टिकल 370 निष्क्रिय होने के बाद से अब तक 60000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं या दस लाख से ज्यादा लोग घायल हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के इस विज्ञापन की दुनिया भर में किरकिरी हो रही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स, जो अमेरिका के ‘प्रतिष्ठित’ अखबारों में से एक है, उसने पैसों के लिए ये पेड प्रोपेगेंडा चलाकर ना सिर्फ अपने पब्लिकेशन का स्तर गिरा दिया, बल्कि पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों की भी अवहेलना की, जो ये सिखाता है कि आप प्रायोजित प्रोपेगेंडा का हिस्सा नहीं बनेंगे। बड़ा सवाल ये है कि अगर न्यूयॉर्क टाइम्स ने विज्ञापन के तौर पर ही सही यदि कश्मीरियों के कंधे पर रखा पाकिस्तान का एजेंडा विज्ञापन के तौर पर छापा तो, वो बलूचिस्तान को क्यों भूल गए? क्या बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना किस तरह लोगों को मार रही है, वो उन्हें नजर नहीं आता?