नई दिल्ली। जेएनयू (JNU) देशद्रोह मामले में अब दिल्ली सरकार (Delhi Government) के जवाब का इंतजार है. जानकारी के मुताबिक मंजूरी (sanction) देने या न देने पर एक महीने का वक्त मिला है. आपको बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जेएनयू देशद्रोह मामले में (JNU sedition case) दिल्ली सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने या नहीं दिए जाने पर फैसला करने के लिए एक महीने का वक्त दिया है. अब मामले की अगली सुनवाई (hearing) 25 अक्टूबर को होगी.
अपने आदेश (order) में कोर्ट ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली सरकार (Delhi Government) एक महीने में निष्कर्ष पर पहुंच सकेगी कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को मामले में इजाजत दिया जाए या नहीं. फैसले में हो रही देरी की वजह से कोर्ट (court) का समय बर्बाद हो रहा है और मामला टलता जा रहा है. गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस पहले ही चार्जशीट (Chargesheet) दाखिल कर चुकी है, लेकिन राज्य सरकार (State Government) द्वारा देशद्रोह का मुकदमा (sedition case) चलाए जाने की अनुमति न मिलने की वजह से कोर्ट की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है.
कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान कोर्ट (court) ने कहा केस का स्टेटस क्या है? दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने कहा यथास्थिति बनी हुई है. अभी भी दिल्ली सरकार (Delhi Government) की तरफ से अनुमति नहीं मिली है, इंतजार है. हम स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) सौंप रहे हैं. इसके बाद कोर्ट ने फिर पूछा कि दिल्ली सरकार से मंजूरी (sanction) कब मांगी गई. पुलिस ने कहा चार्जशीट (Chargesheet) विचाराधीन है. अभी राज्य सरकार की तरफ से सैंक्शन नहीं मिला है. चार्जशीट जनवरी में ही दाखिल की गई, उसी दिन सरकार से मंजूरी मांगी गई थी.
आपको याद दिला दें कि 14 जनवरी 2019 को ही दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जेएनयू कथित देशद्रोह मामले में चार्जशीट (Chargesheet) दाखिल की थी. जिसमें दिल्ली के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) समेत 10 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. चार्जशीट में कन्हैया के अलावा, पूर्व छात्र उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, अकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशारत अली और खालिद बशीर भट्ट का नाम भी बतौर आरोपी शामिल किया गया था.
चार्जशीट में देशद्रोह समेत लगाई गई थीं तमाम धाराएं
अगर धाराओं की बात की जाए तो दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने अपनी चार्जशीट में आईपीसी की धारा 124ए यानी देशद्रोह, 323 यानी जानबूझकर नुकसान पहुंचाना, 465 यानी जालसाजी, 471 यानी नकली दस्तावेज, 143 यानी गैरकानूनी सभा, 149 यानी गैर कानूनी सभा की सदस्यता, 159 यानी दंगे का आरोप और 120 बी यानी आपराधिक साजिश के तहत आरोप लगाए थे.
दिल्ली सरकार ने नहीं दी थी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की इजाजत
मामले में पेंच तब फंसा जब कानून का सवाल उठा यानी आईपीसी की धारा 124ए यानी देशद्रोह के तहत मामला (sedition case) दर्ज करने के लिए संबंधित राज्य के गृह विभाग की मंजूरी जरूरी होती है. कोर्ट ने चार्जशीट (Chargesheet) दाखिल करते समय दिल्ली पुलिस (Delhi Police)से भी यही सवाल किया था कि क्या चार्जशीट दाखिल करते समय राज्य सरकार से इजाजत ली गई थी. अभी तक दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी है. यही कारण है कि अभी तक कोर्ट दाखिल चार्जशीट (Chargesheet) पर संज्ञान नहीं ले पाई है.