तल अवीव। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) बुधवार को आम चुनाव (Israel election result 2019) में सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत से दूर दिख रहे हैं. इससे यह संदेह पैदा हो गया है कि क्या वह सत्ता पर अपने एक दशक पुरानी पकड़ को बरकरार रख पाएंगे. जानकार मानते हैं कि नेतन्याहू अगर सत्ता से बाहर जाते हैं तो इसका असर भारत-इजराइल (Israel) संबंधों पर भी दिख सकता है. नेतन्याहू के कार्यकाल में इजराइल (Israel) ने कई मौको पर खुलकर भारत का साथ दिया है. साथ भारत ने इजराइल (Israel) के साथ कई बड़े रक्षा सौदे भी किए हैं. नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) के बीच काफी अच्छा मेलजोल है. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार दोनों नेता इस दोस्ती को जाहिर भी कर चुके हैं.
हारित्ज अखबार ने केंद्रीय चुनाव समिति के हवाले से कहा, ’91 प्रतिशत मतगणना होने के बाद, नेतन्याहू की मध्य-दक्षिणी लिकुड पार्टी को 31 सीटें मिली हैं, जबकि इनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी बेन्नी गैंट्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी ने 32 सीटें हासिल कर ली है.’ दोनों पक्ष दक्षिणपंथी समूह और मध्यमार्गी व वाम समूह 120 सदस्यीय संसद (नेसेट) में सरकार बनाने के लिए जरूरी 61 सीटों से दूर हैं. अमेरिका और ईरान के बीच तनाव के मद्देनजर इस नतीजे का मध्यपूर्व पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के करीबी सहयोगी नेतन्याहू अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह फिलिस्तीन को लेकर अपने कठोर रुख को बरकरार रखेंगे. नेतन्याहू इजरायल के सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री हैं. वह 10 वर्षो से इस पद पर काबिज हैं.
नेतन्याहू ने नई सरकार गठित करने का संकल्प लिया
चुनाव परिणाम आने से पहले इजरायल के मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने अपने समर्थकों को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने एक नया सत्तारूढ़ गठबंधन बनाने का संकल्प लिया और कहा कि अगली सरकार अरब पार्टियों पर निर्भर नहीं रहेगी. अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का जिक्र करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल बड़ी सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौतियों और अवसरों से आगे एक ऐतिहासिक मोड़ पर है.
इजरायल भर में मतदान केंद्रों के बंद होने के बाद देश के तीन प्रमुख टीवी चैनलों ने अपने व्यक्तिगत एग्जिट पोल के नतीजे जारी किए, जिसमें नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी की गैंट्ज के ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के बीच कांटे की टक्कर दिखाई गई थी.
समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, नेतन्याहू ने कहा, ‘ट्रंप के साथ बातचीत इजरायल के भविष्य का फैसला दशकों तक करेगी, इसलिए इजरायल को एक मजबूत, स्थिर और यहूदी सरकार की जरूरत है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम अपनी उपलब्धियों को बनाए रखें.’
नेतन्याहू ने कहा कि यहूदी विरोधी अरब पार्टियों द्वारा समर्थित न कोई सरकार होगी न बन सकती है, जो एक यहूदी और लोकतांत्रिक देश के रूप में इजरायल के अस्तित्व को नकारते हैं और हमारे सैनिकों को मारने वाले खून के प्यासे आतंकवादियों का महिमामंडन करते हैं. हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते.
वहीं, बुधवार सुबह इजरायल बेटीनू पार्टी के नेता एविगडोर लीबरमैन ने जोर देकर कहा कि वह सिर्फ उसी सरकार को समर्थन देंगे, जिसमें लिकुड और ब्लू एंड व्हाइट दोनों शामिल हों. हालांकि, ब्लू एंड व्हाइट ने नेतन्याहू के साथ सहयोग करने की बात से इनकार किया है.