नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अचानक बढ़ी हलचल से हर तरफ लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आगे क्या होने वाला है. साथ ही लोगों को के मन में संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर भी सवाल बना हुआ है. आखिर क्या है आर्टिकल 370 और कैसे ये जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देती है आज हम इसी पर बात करेंगे.
क्या है आर्टिकल 370
अनुच्छेद 370 जम्मू-क्शमीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता है. इस अनुच्छेद के चलते ‘जम्मू-कश्मीर का एक अलग संविधान है, झंडा है, उसके नागरिकों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं, और सबसे बड़ी बात – भारत की संसद केवल उन मामलों पर राज्य के लिए क़ानून बना सकती है, जिनके बारे में भारत के साथ विलय करते समय हस्ताक्षरित विलय पत्र में उल्लेख है. बाक़ी मामलों पर क़ानून बनाने के लिए उसे राज्य सरकार की सहमति चाहिए.
आर्टिकल 370 के मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है. इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि अनुच्छेद 370 की वजह से भारत की संसद के जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या अधिकार हैं?
भारतीय संसद का जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या है 370 में अधिकार
अनुच्छेद 370 के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत के ससद के अधिकार सीमित हैं? संसद देश के किसी भी राज्य को लेकर कानून बना सकता है लेकिन अनुच्छेद 370 ये कहता है कि जम्मू-कश्मीर को क्योंकि विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है तो उसके लिए देश के संसद को जो कानून बनाने का अधिकार है उसको सीमित कर दिया गया है. 370 ये कहता है कि भारत का संसद उन्हीं मामलों पर कानून बना सकती है जिसे जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली संधी पर हस्ताक्षर करते वक्त डिसाइड किया गया था.
आर्टिकल 370 में जिन मामलों पर भारत के संसद को कानून बनाने का अधिकार है वो डिफेंस, विदेश और वित्तीय मामले हैं. यानि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में सिर्फ इन मामलों पर कानून बना सकती है. इसके अलावा अगर केंद्र सरकार को किसी अन्य मसले पर जम्मू-क्शमीर के लिए कानून बनाना है तो उन्हें जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी.
संसद में पारित कानून जम्मू-कश्मीर में कैसे लागू हो सकता है
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि डिफेंस, विदेश और वित्तीय मामले को छोड़कर अगर संसद कोई भी कानून बनाती है जैसे GST या RTI तो वह वह जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगा. ऐसे कानून को लागू कराने का प्रावधान यह है कि इसके लिए पहले संसद द्वारा पारित कानून को जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा में पास होना जरूरी है. ये अधिकार राज्य को 370 के तहत ही मिले हुए हैं.
भारतीय संविधान के कौन से अनुच्छेद वहां मान्य होंगे
संविधान का आर्टिकल 1 और आर्टिकल 370 राज्य में लागू होगा. इसके अलावा वो सभी कानून भी जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे जिसका तत्कालीन राष्ट्रपति ने अपने 1954 के ऑर्डिनेंस में जिक्र किया था. इसका साफ मतलब है कि 1954 के ऑर्डिनेंसस में जिस-जिस कानून का जिक्र है वह सभी वहां लागू होंगे. इसके अलावा संविधान के कोई भी अन्य प्रावधानों को राज्य में लागू नहीं किया जा सकता.
क्या 370 को हटाया जा सकता है
इसका जवाब भी अनुच्छेद 370 में ही दर्ज है. इसका क्लाउस तीन कहता है कि अगर जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा अनुच्छेद 370 को खत्म करने को कहती है तो इसे खत्म किया जा सकता है. लेकिन पेंच यह है कि जम्मू-कश्मीर की
संविधान सभा को 1957 में भंग कर दिया गया था. अब सवाल यही है कि संविधान सभा जो पहले ही भंग हो गई है तोअब उसके बाद 370 के क्लाउस तीन का कोई मायने नहीं रह गया है. ऐसे में क्या अनुच्छेद 370 को खत्म किया जा सकता है इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है. ताजा घटना क्रम में यही लगता है कि केंद्र सरकार कोई ठोस कदम उठाने वाली है.