क्‍या बीजेपी और नीतीश के बीच बढ़ रही खटास, JDU बोली-आगे भी मोदी सरकार में शामिल नहीं होंगे

पटना। केंद्र की मोदी सरकार में जेडीयू शामिल नहीं हुई और आगे भी जेडीयू मोदी सरकार में शामिल नहीं होगी. यह बात नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर कहा है. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि किसी से कोई गिला सिकवा नहीं है. लेकिन राजनैतिक विश्लेषक का मानना है कि मौजूदा स्थिति में जेडीयू-बीजेपी के बिच रिश्ते में खटास आ गयी है और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

जेडीयू के कैबिनेट में सांकेतिक भागेदारी रास नहीं आयी, बीजेपी ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी. जबकि, जेडीयू ने अनुपातिक भागेदारी न होने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से अलग रहना ही बेहतर समझा और केंद्र सरकार में जेडीयू के मंत्री शामिल नहीं हुए.

अब बिहार के राजनैतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. मंत्रिमंडल में बिहार को उचित स्थान नहीं मिला इसको लेकर भी नाराजगी दिख रही है. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि बिहार को एक बेहतर जीत मिलने के बाद भी उचित भागेदारी तो नहीं ही मिली, सामाजिक समीकरण का भी इसमें ख्याल नहीं रखा गया.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू के शामिल न होने को लेकर अब बिहार की राजनीति में क्या असर हो सकता है. इस पर हर चौक चौराहे पर चर्चा का बाजार गरम है. बिहार में अगले वर्ष विधानसभा का भी चुनाव होना है. लिहाज़ा इसके मायने भी निकाले जा रहे हैं. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेडीयू फिलहाल वेट एंड वाच की स्थिति में रह कर बीजेपी के अगले कदम का इंतजार करेगी.

बिहार से एनडीए को भारी जीत हासिल हुई और इसके ठीक बाद बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते में मंत्रिमंडल के सवाल पर खटास आयी है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. आम लोगों में भी इसके संकेत ठीक नहीं गए हैं.

हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इसे चेहरा नहीं बल्कि जनता की जीत है कह कर यह साफ़ कर दिया है कि कोई दल विशेष इस प्रचंड बहुमत का श्रेय सिर्फ अपने ऊपर या चेहरा विशेष के ऊपर न लें.

जेडीयू ने स्पष्ट कहा कि बिहार के मंत्रिमंडल गठन में बीजेपी को सम्मानजनक भागीदारी दी गयी. लेकिन मौजूदा स्थिति में बीजेपी की शर्तों पर जेडीयू केंद्र सरकार में शामिल न होकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. साथ ही यह भी साफ़ कर दिया है कि जेडीयू अपने शर्तों पर राजनीति करती है और आगे भी इससे समझौता नहीं होगा.

अगले वर्ष विधानसभा का चुनाव है और लोकसभा चुनाव जीत के बाद एनडीए में शुरू हुआ ये नया राजनीतिक घटनाक्रम कई सवाल खड़ा करता है. जिसके जबाब के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा.

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