लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में मिली हार के कारण तलाश रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सोमवार को भी हारे हुए प्रत्याशियों, उनके पोलिंग एजेंटों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश ने पिछले कई दिनों से जारी सिलसिले में आज भी विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी रहे नेताओं और उनके पोलिंग एजेंटों एवं कार्यकर्ताओं से मुलाकात करके लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर उनका पक्ष जाना.
वहीं, समाजवादी पार्टी में बड़े फेरबदल के भी संकेत मिल रहे हैं. इस बैठक में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी मौजूद थे. खबर है कि मुलायम सिंह यादव ने पार्टी पदाधिकारियों को लापरवाही और जनता की नब्ज पकड़ने में नाकाम रहने के लिए खूब लताड़ लगाई है. पदाधिकारियों को लताड़ लगाने के बाद मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव से भी अलग से बात की. इसके बाद अखिलेश यादव ने पार्टी के सभी पदाधिकारियों से बात कर हार के कारणों की पूरी रिपोर्ट मांगी है. खबर है कि इस रिपोर्ट के बाद ही कार्रवाई होगी.
सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव संगठन में आमूल-चूल बदलाव लाने के मूड में हैं. बताया जा रहा है कि हार से खफा अखिलेश यादव पार्टी के यूथ विंग में कुछ नेताओं की छुट्टी कर सकते हैं. जल्द ही नए प्रभारियों, संगठन अधिकारियों को नियुक्त किया जा सकता है. अखिलेश ने हाल ही में अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं के पैनल को बर्खास्त कर दिया था और किसी भी टीवी डिबेट्स में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी थी. बैठक में चर्चा जोरों पर रही कि प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को हटाया जा सकता है. उनकी जगह ओमप्रकाश को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा भी रही, हालांकि अखिलेश ने इस मामले में कोई फैसला नहीं किया.
उन्होंने कहा कि अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे लोकसभा चुनाव में मिली पराजय से मायूस होने के बजाय जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत बनायें और वर्ष 2022 में होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी करें. इस सवाल पर कि लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) से अखिलेश की कोई बातचीत हुई है, चौधरी ने कहा कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है.
बसपा के साथ गठबंधन को लेकर हुए नफे-नुकसान के बारे में भी सपा में कोई चर्चा होने के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने इससे भी इनकार किया. गौरतलब है कि बसपा और रालोद से गठबंधन करके लोकसभा चुनाव में उतरी सपा को खासा नुकसान हुआ है. उसका वोट प्रतिशत वर्ष 2014 के मुकाबले पांच फीसदी घटा है. उसे वर्ष 2014 की तरह ही कुल पांच सीटें मिल सकीं, मगर उसे कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद की अपने गढ़ वाली सीटें गंवानी पड़ीं.