सुरेन्द्र किशोर
नरेंद्र मोदी के प्रति पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी के रुख-रवैए को देखते हुए मुझे एक आशंका हो रही है। यदि नरेंद्र मोदी फिर से सत्ता में आ गए तो ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को कम से कम स्वायत्त प्रदेश बनाने की मांग कर सकती हैं। इसके बिना वह अपनी मौजूदा असामान्य ‘गति’ को कायम नहीं रख पाएंगी। पर यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा को कितनी सीटें आती हैं।
यदि अमित शाह की 23 सीटों वाली भविष्यवाणी सही साबित हुई तब तो 2021 से पहले भी ममता सरकार गिर सकती है। यदि भाजपा को 10 के आसपास सीटें आईं तो ममता पूरे फाॅर्म में होंगी। फिर क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में हैं कुछ भी हो सकता है जब तक राजग को राज्य सभा में बहुमत नहीं मिलता। 1962 के चीनी आक्रमण से पहले मद्रास @तब यही नाम था, उस प्रदेश का @के द्रविड नेता स्वतंत्र द्रविड़नाड की मांग कर रहे थे। पर चीन युद्ध के कटु अनुभव के बाद उन्होंने देश की एकता-अखंडता की जरूरत महसूस की। 1967 में मुख्य मंत्री बनने के बाद सी.एन.अन्नादुरै ने कहा कि ‘स्वतंत्र द्रविड़नाड की कोई मांग नहीं है।……स्वतंत्र देश की मांग अब एकदम बेमानी है।’
याद रहे कि जब चीनियों ने बोमडीला पर कब्जा कर लिया और नेफा में बड़ी संख्या में चीनी सैनिक घुस गए तो 20 नवंबर 1962 को प्रधान मंत्री जवाहरलाल नरेहरू ने असमवासियों से आकाशवाणी के जरिए कहा कि आपके प्रति मेरी अत्यधिक सहानुभूति है।–माई हर्ट गोज आउट टू द पिपुल आॅफ असम।तब लगा कि भारत सरकार ने असम को उसके हाल पर छोड़ दिया। इस घटना का द्रविड नेताओं पर भारी असर पड़ा और उन्होंने मजबूत व एकजुट भारत गणराज्य की अनिवार्यता समझ ली। उम्मीद है कि ममता बनर्जी वोट बैंक के चक्कर में मोदी विरोध के सिलसिले में बहुत दूर तक नहीं जाएंगी।(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से )