नई दिल्ली। अभी लोकसभा चुनाव के आखिर चरण के मतदान होना बाकी है, लेकिन सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. सिर्फ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ही नहीं, बल्कि थर्ड फ्रंट की भी कवायद शुरू हो गई है. 23 मई की मतगणना के बाद चुनाव नतीजे जारी किए जाएंगे. अगर इस चुनाव में किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, तो देश का सियासी समीकरण पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक बदल जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक 21 मई को सभी विपक्षी दल एक बैठक करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें नेतृत्व को लेकर औपचारिक चर्चा नहीं होगी. हालांकि महागठबंधन की एकता और महागठबंधन की एक तस्वीर सामने रखने की कोशिश जरूर की जाएगी. इसको लेकर सीपीआई के सांसद डी राजा का कहना है कि विपक्षी दल आपस में बैठक करेंगे और रणनीति बनाएंगे कि आखिर बीजेपी को कैसे सत्ता से हटाया जा सकता है.
23 मई 2019 से पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव अलग-अलग नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. उनकी सबसे ताजा मुलाकात डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन से हुई है. सूत्रों की मानें, तो इस मुलाकात के दौरान टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव ने उपप्रधानमंत्री बनने की इच्छा जताई. हालांकि डीएमके ने उन्हें यूपीए को समर्थन देने का प्रस्ताव दे दिया.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को एनडीए सरकार चलाने के काबिल बताया, तो दूसरी तरफ ओडिशा में आए फानी चक्रवाती तूफान से निपटने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की तारीफ की. उधर, एनडीए के घटक दल जेडीयू ने नतीजों से पहले ही बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बयान जारी करके न सिर्फ बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की, बल्कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश को भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का समर्थन किया.
इतना ही नहीं, जेडीयू ने यहां तक कह दिया कि नवीन पटनायक और उनका डीएनए सेम है. लिहाजा नवीन पटनायक के साथ-साथ जगन मोहन रेड्डी जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों का एनडीए में स्वागत है. कहीं यह भी तो संयोग नहीं कि जेडीयू को बिहार में जिताने वाले प्रशांत किशोर आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी का चुनाव-प्रचार देख रहे थे. जेडीयू ने पटनायक के साथ अपना डीएनए जोड़ दिया है, जिससे साफ है कि 23 मई के बाद जरूरत पड़ने पर ओडिशा के जरिए दिल्ली की सरकार बचाई जा सकती है. पूर्व बीजेपी नेता और पत्रकार तथागत सतपति का मानना है कि नवीन पटनायक 23 मई के बाद बीजेपी का साथ देने से नहीं हिचकिचाएंगे.
23 मई के पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बतौर प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती की उम्मीदवारी को बेहतर बताया है. आजतक से खास बातचीत में अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती अच्छा चेहरा हैं. अखिलेश यादव के प्रस्ताव पर लेफ्ट को भी कोई आपत्ति नहीं है. लेफ्ट को लगता है कि विपक्षी दलों में मायावती के साथ ही कई ऐसे चेहरे हैं, जो प्रधानमंत्री पद के लिए बेहतर उम्मीदवार हैं. इन पर 23 मई के बाद सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी.
वहीं, मायावती ने 23 मई के बाद एनडीए को समर्थन देने की तमाम शंकाओं को खारिज करने के लिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. मायावती ने यहां तक कह दिया कि देश ने अब तक कई नेताओं को सेवक, मुख्य सेवक, चायवाला और चौकीदार आदि के रूप में देखा है. अब देश को संविधान की सही कल्याणकारी मंशा के हिसाब से चलाने वाला शुद्ध पीएम चाहिए. जनता ने ऐसे दोहरे चरित्रों से बहुत धोखा खा लिया है. अब आगे धोखा खाने वाली नहीं है. हालांकि ये सारी संभावनाएं, महत्वकांक्षाएं और उन्हें पूरा करने के लिए जद्दोजहद का भविष्य 23 मई को तय होगा.
इसी तारीख को यह तय होगा कि देश कि सियासत एक बार फिर 2014 की राह पर जाएगी या क्षेत्रीय दलों की किस्मत जागेगी? वहीं, अगर एनडीए अपने बलबूते दिल्ली का किला बचाने में कामयाब हो जाती है, तो बाकी सबके अरमां आंसुओं में बह जाएंगे. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के आखिर चरण के मतदान 19 मई को होंगे. इसके बाद 23 मई को वोटों की गिनती की जाएगी और उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा.