नई दिल्ली। सभी राजनीतिक पार्टियां लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी हुई है. बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेता हर जगह रैलियां कर रहे हैं. लेकिन इससे ठीक पहले पीएम मोदी ने एबीपी न्यूज को अपना एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने पुलवामा अटैक, नोटबंदी, लोकसभा चुनाव और अन्य मुद्दों को लेकर हर उन सवालों के जवाब दिए जिसका इंतजार हर भारतीय दर्शक कर रहा है. पीएम मोदी ने इस दौरान हाल ही में आए कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर भी जवाब दिया.
लेकिन इस बीच पीएम मोदी से एबीपी न्यूज ने एक बड़ा ही रोचक सवाल पूछा. एबीपी न्यूज ने अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पीएम मोदी से पूछा कि, ”देश के मन में एक और प्रश्न है और वो प्रश्न ये है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोनों गांधी भाई-बहनों में से बेहतर नेता कौन लगता है?”
कांग्रेस को जो अच्छा लगे उसे नेता बनाए- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने इसपर ये जवाब दिया कि, ” ऐसा है कि ये करीब सवा सौ साल से भी ज्यादा उम्र वाली पार्टी है. इस पार्टी का ऐसा क्या दरिद्र है कि देश में से नेता उभरते नहीं है पार्टी में. ये एक चिंता का विषय है. बाकि उनमें कौन अच्छा या कौन बुरा, मैं व्यक्तिगत रूप से किसी से परिचित नहीं हूं. ना कभी बैठकर कभी किसी विषय पर हमें चर्चा करने का सौभाग्य मिला है और इसलिए उनका ऐसा जजमेंट लेना मेरा हक बनता नहीं है और ये कांग्रेस पार्टी का अंदरुनी विषय है, उनको जो अच्छा लगे उसे नेता बनाए.”
सवाल : ये भी चर्चा है कि शायद प्रियंका गांधी वाड्रा आपको खिलाफ वाराणसी में चुनाव लड़ेंगी? इसपर पीएम मोदी ने कहा कि, ”देखिए लोकतंत्र में कोई भी, कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है.”
‘बनारस के चुनाव के समय मुझे एक भी पब्लिक मीटिंग नहीं करने दी’- पीएम मोदी
सवाल : ” क्या आपको चिंता होती है, आपको परेशानी होती है?”
पीएम मोदी ने इसपर कहा कि, ”देखिए, मोदी चुनाव जीते या हारे, ये निर्णय जनता का है. मोदी तो जब पहली बार बनारस में जब चुनाव लड़ा तो नामांकन भरने गया था और बाद में जिस दिन कैंपेन पूरा हुआ. उस दिन मैंने पब्लिक मीटिंग के लिए इजाजत मांगी थी लेकिन वहां की सरकार ऐसी थी, वहां का इलेक्शन कमीशन ऐसा था कि मुझे पब्लिक मीटिंग करने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
मुझे एक भी परमिशन नहीं मिली लेकिन जनता ने जीता दिया- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने सवालों के जवाब देते हुए आगे कहा कि, ”आप हैरान होंगे ये जानकर और देश की मीडिया ने ये चर्चा नहीं की. बनारस का लोकसभा का चुनाव मेरा ऐसा था कि जिसमें मुझे एक भी पब्लिक मीटिंग नहीं करने दी. इतना ही नहीं जिस दिन मैं नामांकन भरने के लिए गया था तो उस जुलूस को सभा में बदलना था, उस पर भी आखिरी समय में मना कर दिया था. तो जुलूस हुआ और फिर मैं उतरकर सीधा दफ्तर में चला गया और फॉर्म भरकर वापिस आ गया. पूरे कैंपेन में मुझे एक पब्लिक मीटिंग नहीं करने दी. एक परमिशन नहीं दी लेकिन जनता ने जिता दिया.”