नई दिल्ली। एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाले अध्यादेश को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने आज मना कर दिया. केरल के संगठन समस्त केरल जमीयत उलेमा का कहना था कि पारिवारिक मामले में सज़ा का प्रावधान गलत है और इसी आधार पर इस अध्यादेश को चुनौती दी गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल के इस संगठन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे. केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद पिछले साल 19 सितंबर को ‘मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों की सुरक्षा) अध्यादेश’ को पहली बार लाया गया था.
एक बार में तलाक तलाक तलाक कह कर विवाह विच्छेद करने की यह प्रक्रिया तलाक ए बिद्दत कहलाती है. मुस्लिम पुरूष एक साथ तीन तलाक कह कर अपनी पत्नी को तलाक दे सकते हैं. अध्यादेश में इसी प्रक्रिया को दंडनीय अपराध बनाया गया है. एक साल से भी कम समय में इस अध्यादेश को 21 फरवरी को तीसरी बार जारी किया गया.