चुनावी चर्चा: आज़म खान से रामपुर में भिड़ेंगी जयाप्रदा

लखनऊ। हो सकता है रामपुर में आज़म खान और जया प्रदा में मुक़ाबला हो जाए. वो भी सीधी लड़ाई. बीजेपी चाहती है कि जया ही लोकसभा का चुनाव लड़ें. उधर समाजवादी पार्टी का इरादा भी आज़म खान को लड़ाने का है. अगर ऐसा हुआ तो फिर रामपुर की लड़ाई दिलचस्प हो जाएगी. जयाप्रदा यहाँ से दो बार सांसद रह चुकी हैं. समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर आज़म खान रामपुर से नौवीं बार विधायक बने हैं. उनके छोटे बेटे अब्दुल्ला भी विधायक हैं. एबीपी न्यूज़ से आजम ने कहा कि अगर पार्टी ने टिकट दिया तो वे चुनाव लड़ सकते हैं.

नैपाल सिंह रामपुर से बीजेपी के एमपी हैं लेकिन ख़राब सेहत के कारण उनका टिकट कटना तय है. मुस्लिम वोटरों के दबदबे वाले इस इलाक़े में बीजेपी को ज़रूरत एक जिताऊ उम्मीदवार की है. पार्टी ने सारे दाँव आज़मा लिए. लेकिन अब तक कोई ऐसा नेता नहीं मिल पाया है. सारी उम्मीदें अब सिर्फ़ जयाप्रदा पर आकर टिक गई हैं. बीजेपी को लगता है अब वही पार्टी की लाज बचा सकती हैं. पार्टी की रामपुर इकाई ने जिन दो नाम का पैनल बनाया है उसमें सांसद नैपाल सिंह के बेटे सौरभ और जयाप्रदा का भी नाम है.

जयाप्रदा और आज़म खान के रामपुरी झगड़े को आप भूले नहीं होंगे. ये बात 2009 के लोकसभा चुनाव की है. तब अमर सिंह समाजवादी पार्टी के चाणक्य हुआ करते थे. आज़म खान के ज़बरदस्त विरोध के बावजूद मुलायम सिंह ने जयाप्रदा को टिकट दे दिया. वे लोकसभा चुनाव लड़ने रामपुर पहुँच गईं. आज़म खान और उनके समर्थकों ने उन्हें हराने के लिए सारे घोड़े खोल दिए. जयाप्रदा को खान साहेब ने ‘नचनिया’ से लेकर ‘घुँघरू वाली’ तक कहा. पूरे शहर में उनकी फ़िल्मों के अंतरंग दृश्यों के पोस्टर तक लगाए गए. लेकिन जयाप्रदा घूम घूम कर वोटरों के बीच आज़म खान को भैया कहती रहीं. आज़म के छोड़ कर पूरी पार्टी जया के समर्थन में रही. अमर सिंह ने रामपुर में ही डेरा डाल दिया. आख़िरकार जयाप्रदा 30 हज़ार वोटों से चुनाव जीत गईं.

जो जयाप्रदा अब आज़म खान को फूटी आँख नहीं सुहातीं. कभी उन्हें बहन बना कर आज़म ही अपने शहर रामपुर ले गए थे. बात साल 2004 की है. जयाप्रदा को आज़म खान और अमर सिंह ने मिल कर टिकट दिलवाया. तब दोनों अच्छे दोस्त हुआ करते थे. जयाप्रदा पहली बार लोकसभा की सांसद बनी थीं लेकिन उसके बाद तो जयाप्रदा और आज़म खान के झगड़े को पूरे देश ने देखा और सुना. जया के बहाने ही आज़म खान और अमर सिंह एक दूसरे पर निशाना साधते रहे.

अस्सी और नब्बे के दशक की मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री जयाप्रदा का राजनैतिक सफ़र भी कम फ़िल्मी नहीं रहा. 57 साल की जया एन टी रामा राव से प्रभावित होकर तेलुगु देशमुख पार्टी में शामिल हो गईं. 1994 में वे राज्य सभा की सांसद बनीं. फिर दस साल बाद वे समाजवादी पार्टी की बन गईं. अमर सिंह के साथ साथ वे भी 2010 में पार्टी से बाहर कर दी गईं. पिछले चुनाव में जयाप्रदा ने आरएलडी की टिकट पर बिजनौर से क़िस्मत आज़माया लेकिन उन्हें हार नसीब हुई.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *