कमजोर माने जा रहे ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को एक बार फिर हरा दिया. उसने बुधवार (13 मार्च) को भारत को पांचवें वनडे में 35 रन से मात दी. इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने वनडे सीरीज 3-2 से अपने नाम कर ली. हमारी हार ऐसी टीम के खिलाफ हुई है, जो अपने तीन बेहतरीन खिलाड़ियों (स्टीवन स्मिथ, डेविड वार्नर, मिचेल स्टार्क) के बिना खेल रही थी. यह वही टीम है, जिसे हमने दो महीने पहले ही उसी के घर पर हराया है. ऐसे में टीम इंडिया की हार को सिर्फ प्रयोग के नाम पर हजम कर पाना मुश्किल होगा. सच यही है कि जिस टीम को हमने कमजोर माना, उसी ने हमारी कम से कम तीन कमजोरियां उजागर कर दी है.
1. नंबर-4 की समस्या जस की तस
भारत इस सीरीज में नंबर-4 पर प्रयोग के इरादे से उतरा था. उसने ऐसा किया भी. पहले तीन मैच में अंबाती रायडू के नाकाम रहने के बाद चौथे मैच में विराट कोहली इस नंबर पर उतरे. इसके बाद पांचवें नंबर पर ऋषभ पंत को मौका मिला. ना तो रायडू और ना ही विराट या पंत नंबर-4 पर कोई कमाल दिखा सके. पांच मैचों में इस नंबर पर सर्वोच्च स्कोर 20 रहा, जो विराट ने बनाया. जाहिर है, यह गुत्थी अनसुलझी है.
2. स्पिनर भी उम्मीद पर खरे नहीं उतरे
स्पिनर भारतीय टीम की ताकत रहे हैं. कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल ने पिछले दो साल में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. लेकिन इन दो स्पिनरों के बीच ऑस्ट्रेलिया के लेग स्पिनर एडम जैम्पा सीरीज में 11 विकेट झटक ले गए. वे सीरीज के सबसे सफल स्पिनर रहे. युजवेंद्र चहल ने चौथे वनडे में 80 रन लुटाए तो कुलदीप ने पांचवें वनडे में 70 रन खर्च कर दिए. इनकी नाकामी भी भारत की हार की बड़ी वजह रही.
3. ओपनिंग पार्टनरशिप भी चिंता का विषय
रोहित शर्मा और शिखर धवन मौजूदा समय की सबसे बेहतरीन ओपनिंग जोड़ी है. ये दोनों ही बल्लेबाज अपने दम पर मैच जिताते रहे हैं. लेकिन इस सीरीज में सिर्फ चौथे वनडे में ही ये दोनों टीम को अच्छी शुरुआत दे सके. इस मैच में इन दोनों ने 193 रन की साझेदारी की. जबकि, पहले तीन मैचों में भारत का पहला विकेट क्रमश: 4, 0 और 11 रन पर गिरा. पांचवें मैच में भारत ने पहला विकेट 15 के स्कोर पर गंवाया. अच्छी शुरुआत नहीं मिल पाने से मिडिल ऑर्डर पर दबाव पड़ता रहा और वह लड़खड़ाता रहा.