अयोध्या विवादः जफरयाब जिलानी और मायावती ने कहा- मध्यस्थता का स्वागत, जानें किसने क्या कहा

नई दिल्ली। अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीन लोगों की पैनल गठित की है. ये तीनों लोग सभी पक्षों के विचार को सुनेंगे और मध्यस्थता करेंगे. कोर्ट ने पैनल को निर्देश दिया है कि तीनों लोग मिलकर सभी पक्षों की बात को सुनें और हमें बताएं कि इस मामले में कौन पक्ष क्या चाहता है. कोर्ट ने पैनल को निर्देश दिया है कि सभी पक्षों की राय गोपनीय रखा जाए. इस मामले में किसी भी तरह की कोई रिपोर्टिंग न हो.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पैनल 4 हफ्ते कें अंदर पहली रिपोर्ट दे और मध्यस्थता को 8 हफ्ते के अंदर पूरा कर ले. मध्यस्थता की रिपोर्ट कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में मांगा है. इस मामले में कोर्ट ने पैनल में पूर्व जस्टिस ख़लीफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और तीसरा नाम श्रीराम पांचु को रखा है.

कोर्ट के फैसले पर मायावती ने क्या कहा

वहीं इस मामले को लेकर बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष मायावती ने कहा, ”अयोध्या मामले का सभी पक्षों को स्वीकार्य तौर पर निपटारे के लिये माननीय सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैज़ाबाद में बंद कमरे में बैठकर मध्यस्थता कराने का जो आदेश आज पारित किया है वह नेक नीयत पर आधारित ईमानदार प्रयास लगता है, इसलिये बीएसपी उसका स्वागत करती है.

केशव मौर्या का बयान

कोर्ट के फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्या ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल नहीं उठाएंगे. पहले भी समाधान पर पहुंचने के कई प्रयास किए गए थे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी. कोई भी संत या राम भक्त मंदिर के निर्माण में देरी नहीं चाहता है.

क्या कहा इकबाल अंसारी ने

मध्यस्थता को लेकर मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है की मध्यस्थता के लिए पैनल बनाया गया है इससे हल हो जाए तो बेहतर है लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल है. क्योंकि, इस मामले में कई पक्षकार है, पहले भी हमारे वालिद और ज्ञानदास ने कोशिश की थी, लेकिन इसमें राजनीति होती रही है.

‘मध्यस्थता में करेंगे सहयोग’

बाबरी मस्जिद एक्शन पैनल के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि हम मध्यस्थता में सहयोग करेंगे. अब, हमें जो कुछ भी कहना है, हम उसे मध्यस्थता पैनल में कहेंगे, न कि बाहर किसी से कुछ कहेंगे.

श्री श्री रविशंकर ने क्या कहा

वहीं इस मामले को लेकर पैनल के सदस्य श्री श्री रविशंकर ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता को प्राथमिकता देना देश के और इस विषय से संबंधित सभी दलों के हित में है. इस विवाद को मैत्रीपूर्ण रूप से सुलझाने का हमें पूरा प्रयास करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ”हमें अपने अहंकार और मतभेदों को अलग रखकर इस विषय से संबंधित सभी दलों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए. सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना- इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है.”

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