नई दिल्ली: इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) बॉन्ड का जहर, छूत की बीमारी की तरह तेजी से फैल रही है. इसका वायरस बचतकर्ताओं की तुलना में बड़े निकाय तक फैल चुका है और आने वाले आम चुनाव से पहले ये सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता बृंदा करात ने आईएल एंड एफएस के इस बेहद खराब बॉन्ड में 15 लाख वेतनभोगियों के फंसने पर चिंता जाहिर की है.
सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय है डाक जीवन बीमा
डाक जीवन बीमा (पीएलआई) पॉलिसी धारकों के आईएल एंड एफएस बॉन्ड में फंसना सीधे तौर पर सरकार के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है. अब इस हालत में सरकार के लिए यह जरूरी है कि इन बॉन्ड में आई भारी गिरावट को अपने संज्ञान में ले और इससे पैदा हो रही घबराहट को कम करने के लिए तत्काल इसके सुधार रणनीति को अपनाए.दरासल, सरकार की चिंता का विषय यह है कि पीएलआई पॉलिसी धारकों की सूची में साल 2016-17 के आखिर में और 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ गई. जिसके बीमा की रकम 11,096.67 करोड़ रुपये है. वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में कुल पॉलिसी की संख्या 46.8 लाख थी. इस कुल पॉलिसी की रकम 1,13,084.31 करोड़ रुपये थी और ये आंकड़ा अपने आप में एक बड़ी रकम है. साथ ही बताया गया है कि इस वित्त वर्ष के अंत में शेष निधि 55,058.61 करोड़ रुपये जबकि किस्त से प्राप्त आय की रकम 7,233.89 करोड़ रुपये था.
शीर्ष स्तर पर रहने वाली निजी कंपनियां भी इसकी विशाल सूची में शामिल
हैरानी की बात यह है कि हम जीवन बीमा के कारोबार की बात कर रहें हैं, जो कि सीधे तौर पर खराब बॉन्ड में फंसा हुआ है. जबकि निजी व पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) कंपनियों के वेतनभोगी अप्रत्यक्ष रूप से ईपीएफओ और पेंशन निधि के जरिए फंसे हैं. आईएएनएस के खुलासे में फंसने वालों की एक सूची दी गई है, जिसमें शीर्ष स्तर पर रहने वाली निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस विशाल सूची का हिस्सा हैं.वेतनभोगी कर्मचारी अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा अपने धन को लेकर चिंतित हैं. आईएल एंड एफएस की अब तक की मुसीबत के चलते ये कर्मचारी अपने खराब निवेश में फंस गए हैं. इनमें से अधिकतर कर्मचारी भविष्य निधियों और कर्मचारी पेंशन निधियों ने पहले ही कहा है कि आईएल एंड एफएस समाधान योजना में सेक्योर्ड क्रेडिटर्स को किसी प्रकार का भुगतान करने की बात नहीं कही गई है.
पीएलआई बीमा कंपनी सबसे पुरानी और लोकप्रिय है
पीएलआई भारत में सबसे पुरानी बीमा कंपनी है जिसका गठन ब्रिटिश शासन काल में एक फरवरी 1884 में किया गया था। शुरुआत में बीमा कंपनी का गठन डाक कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया गया था. उनकी योजनाएं खासतौर से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए होतीं हैं. यह 1894 में डाक एवं संचार विभाग की महिला कर्मचारियों को कवर करने वाली पहली बीमा कंपनी बनी थी. यह काफी लोकप्रिय है क्योंकि भारतीय जीवन बीमा बाजार में आज एकमात्र कंपनी है जो बाजार में मौजूद किसी उत्पाद पर सबसे कम प्रीमियम के साथ सबसे ज्यादा रिटर्न देती है. बता दें कि पीआईएल के पास 1884 में कुछ सौ पॉलिसी थीं, जो 31 मार्च 2017 तक करीब 47 लाख हो गई.