हर्ष वर्धन त्रिपाठी
राजनीतिक तौर पर राहुल गांधी एक ऐसी कोशिश कर रहे हैं जो सफल होने पर नरेंद्र मोदी कमजोर पड़ सकते हैं। इसीलिए राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस जी जान से जुट गई है, साबित करने में कि चौकीदार चौर है!, लेकिन जनता का चौकीदार पर भरोसा न डिगने की बड़ी साफ वजह है।
करीब 5 साल की सरकार नरेंद्र मोदी ने चला ली और अब तक उनके ऊपर, उनकी सरकार के ऊपर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप तक नहीं है। सरकार चलाते क्या ऐसा हो सकता है? इस सवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उमके रणनीतिकारों की आंखों में उम्मीद बना रखी है और इसीलिए राहुल गांधी सिर्फ और सिर्फ एक कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह से नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर जनता के मन में सन्देह पैदा कर सकें।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए यह चुनौती कितनी बड़ी है, इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 12 साल गुजरात का मुख्यमंत्री रहते और करीब 5 साल प्रधानमंत्री रहते नरेंद्र मोदी के ऊपर अभी तक कोई भी भ्रष्टाचार का आरोप चस्पा नहीं किया जा सका है। और, इसी सवाल की चमक में राहुल गांधी और उनके रणनीतिकारों को एक जवाब दिखा और वो जवाब था, राफेल सौदा।
देश में रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ रक्षा सौदा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा कराया। अब इसी रक्षा सौदे के बहाने राहुल गांधी उस असफल कोशिश को सफल करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और इसी कोशिश में नया मोड़ आ गया जब देश के जाने माने पत्रकार दि हिन्दू के चेयरमैन एन राम ने राफेल सौदे पर ढेर सारे सवाल उठाए।
नरसिम्हन राम के बारे में थोड़ा और जानना जरूरी है। एन राम एस कस्तूरी रंगा अयंगर के पड़पोते हैं। कस्तूरी परिवार ही द हिन्दू मीडिया समूह का मालिक है और मालिक होने की वजह से ही एन राम ने द हिन्दू समूह के अखबार, पत्रिका को अपने हिसाब से चलाया। एन राम छात्र जीवन में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष रहे हैं। एसएफआई, वामपन्थी पार्टी सीपीएम का छात्र संगठन है और राम खुद भी वामपन्थी होने को फख्र से बताते हैं, लेकिन इससे कभी एन राम की पत्रकारिता पर कोई सवाल नहीं उठा और उठना भी नहीं चाहिए।
अब राफेल सौदे पर रक्षा मंत्रालय की एक चिट्ठी एन राम ने जारी की है और उसी के आधार पर एक रिपोर्ट लिखकर राफेल सौदे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर उठती कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उंगली को सहारा देने की कोशिश की है। हालांकि, सहारा कितना कमजोर था कि कुछ ही घंटे में देश को पता चल गया कि रिपोर्ट जिस पत्राचार के आधार पर तैयार की गई थी, उसका आधा हिस्सा छिपा लिया और साहस देखिए कि ठोंककर कह रहे हैं कि कितना दिखाना है और कितना छिपाना है, यह उनका अधिकार है।
अब आधी-पूरी चिट्ठी के खेल के बाद हो सकता है कि एन राम को घनघोर भाजपा समर्थक एजेण्डा पत्रकार कहें, लेकिन मैं यह कहने का साहस नहीं जुटा सकता। मैं तो कह रहा हूं कि एन राम बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और लगता है राफेल सौदे को उन्होंने कलेजे पर ले लिया है तो हमें उम्मीद करना चाहिए कि राफेल पर एन राम दूध का दूध पानी का पानी करके ही दम लेंगे। उनकी योग्यता पर मुझे कोई शक नहीं है।
वैसे तो पूरी चिट्ठी में साफ यह भी हुआ है कि उस वक्त के रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर को बहुत सलीके से राफेल सौदे के बारे में सब पता था, इसीलिए उन्होंने सीधे कहा कि प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव से बात करें। सोचिए राहुल गांधी जब गए थे बीमार मनोहर पर्रीकर से हालचाल लेने और उसके अगले ही दिन एक राजनीतिक रैली में उस मुलाकात का भी राजनीतिक इस्तेमाल करने का असफल प्रयास राहुल गांधी ने किया। राहुल गांधी ने कहा कि पर्रीकर ने कहाकि उन्हें इस सौदे के बारे में कुछ नहीं पता था। अब एन राम की लाई आधी चिट्ठी का पूरा हिस्सा सामने आने के बाद साफ है कि पर्रीकर को इस सौदे की जानकारी कितनी साफ थी कि उन्होंने सीधे रक्षा सचिव को प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव से बात करके मसला सुलझाने को कहा। इससे राम ने राहुल गांधी के एक आरोप को तो ध्वस्त ही कर दिया।
राफेल सौदे के मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि इंडियन निगोशिएटिंग टीम के प्रमुख एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा साफ कह रहे हैं कि इससे बेहतर सौदा नहीं हो सकता। उन्होंने सौदेबाजी में किसी गड़बड़ी को सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार भी साफ कह रहे हैं कि उनका एतराज गारंटी को लेकर था, कीमतों को लेकर कतई नहीं। एन राम ने आधी चिट्ठी के आधार पर रिपोर्ट तैयार करके हेडिंग लगाई कि PMO ‘undermined’ Rafale negotiations हालांकि, राम ने जिस पत्राचार के आधार पर यह रिपोर्ट छापी, उसी पत्राचार के नीचे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर का लिखा छिपा लिया और उनसे जब पूछा गया कि आपने आधी चिट्ठी छापी तो उन्होंने कहाकि यह मेरा विशेषाधिकार है और रिपोर्ट पूरी है।
उन्होंने कहा कि मनोहर पर्रीकर की भी भूमिका की जांच होनी चाहिए। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन की तीखी प्रतिक्रिया पर भी एन राम ने कहा है कि मुझे निर्मला सीतारामन से प्रमाणपत्र नहीं चाहिए। अब वे बड़ी मुश्किल में फंस गए हैं और छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। मेरी सलाह है कि आप इस सौदेबाजी में शामिल नहीं हैं, फिर क्यों आप इसका बचाव करने की कोशिश कर रही हैं।
लेकिन कमाल की बात यह है कि द हिन्दू की अभी तक की रिपोर्ट में कहीं भी राफेल सौदे की कीमतों और कमीशन की कोई भी बात नहीं साबित हो सकी है और साबित की बात से आगे कहीं इसका जिक्र भी नहीं है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस विदेशी ताकतों के हाथों में खेल रही है। भारतीय वायुसेना को मजबूत करने में कांग्रेस की रुचि नहीं है। कांग्रेस देश का नुकसान कर रही है।
एन. राम की विश्वसनीयता की एक बड़ा पैमाना बोफोर्स की रिपोर्ट भी है। यह अलग बात है कि चित्रा सुब्रमण्यम फिर भी एन राम अगर राफेल सौदे को बोफोर्स जैसा मान चुके हैं तो मुझे लगता है कि यह भी अच्छा ही है कि देश के बड़े सम्पादक, रिपोर्टर इस सौदे से जुड़े हर पत्राचार की एक-एक पंक्ति की चीरफाड़ करें क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति ने सीधे सौदा किया, यह बात तो प्रधानमंत्री खुद बता चुके हैं। इसलिए इस बात को दोहराने से राहुल गांधी को कोई फायदा नहीं मिलने वाला क्योंकि राफेल में दलाली का अब तक सन्देह करने वाला भी कुछ नहीं मिल सका है।
राहुल गांधी जिस तरह से देश को भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि बिना दलाली के रक्षा सौदा हो ही नहीं सकता। कम से कम राफेल के बहाने ही सही देश को पता तो चले कि क्या राफेल पहला रक्षा सौदा है, जिसमें दलाली नहीं ली गई या ली गई तो यह भी पता चले।
लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं। लेख में व्यक्त उनके विचार निजी हैं।