नई दिल्ली। तीन साल पहले 9 फरवरी 2016 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाने और देश विरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र दाखिल करने में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार अड़ंगा लगा रही है।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र तो दाखिल कर दिया है लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की अनुमति नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि फाइल अभी भी सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के पास है। पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को बिना अनुमति के आरोप पत्र दाखिल करने को लेकर फटकार लगाई थी और 6 फरवरी तक सरकार की अनुमित लेकर आने को कहा था।
बहरहाल बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जल्द मंजूरी लेने को कहा। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी फटकार लगाई और पूछा कि फाइल कहां अटकी हुई है। जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि फाइल दिल्ली सरकार के पास है तो कोर्ट ने फिर कहा कि उनको बोलिए मामले को निपटाएं। ऐसे फाइल लेकर कैसे बैठ सकते हैं। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 28 फरवरी तक के लिए टाल दी।
दिल्ली सरकार का इस मामले में लेटलतीफ करना यह दर्शाता है कि वह आरोपियों को बचाना चाहती है और जहां तक हो सकता है उनके साथ खड़ी रहना चाहती है। कोर्ट की इस फटकार को इसी संदर्भ में देखना चाहिए। आखिर क्यों वह फाइल को लटकाए हुए है?
दरअसल यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं है बल्कि राजनीतिक भी है। यह सभी जानते हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेएनयू में देश विरोधी नारा लगाने की गतिविधियों में लिप्त आरोपियों की समय-समय पर सराहना भी करते रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या देश विरोधी नारा लगाने वाले लोगों को केजरीवाल का समर्थन है ?
बता दें कि पुलिस के स्पेशल सेल ने चार्जशीट में जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार समेत कई आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह की धारा-124ए लगाई है। इस धारा में कोर्ट सीआरपीसी की धारा-196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है जब दिल्ली सरकार की अनुमति मिलेगी।
अगर दिल्ली सरकार ने समय से अनुमति नहीं दी तो कोर्ट देशद्रोह की धारा-124ए पर संज्ञान नहीं लेगा और ये धारा स्वत: ही खत्म हो जाएगी। वहीं सरकार की अनुमति न मिलने पर कोर्ट देशद्रोह की धारा को छोड़कर अन्य धाराओं में संज्ञान ले लेगा।
बता दें कि पुलिस के स्पेशल सेल ने चार्जशीट में जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार समेत कई आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह की धारा-124ए लगाई है। इस धारा में कोर्ट सीआरपीसी की धारा-196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है जब दिल्ली सरकार की अनुमति मिलेगी।
अगर दिल्ली सरकार ने समय से अनुमति नहीं दी तो कोर्ट देशद्रोह की धारा-124ए पर संज्ञान नहीं लेगा और ये धारा स्वत: ही खत्म हो जाएगी। वहीं सरकार की अनुमति न मिलने पर कोर्ट देशद्रोह की धारा को छोड़कर अन्य धाराओं में संज्ञान ले लेगा।