लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगुवाई वाले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को उत्तर प्रदेश में मात देने के लिए समाजावादी पार्ट (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर गठबंधन किया है. सूबे के 80 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें ऐसी हैं, जहां सपा-बसपा कभी भी जीत का स्वाद नहीं चख सकी हैं. ऐसे में अखिलेश और मायावाती- दोनों के लिए ये सीटें सिरदर्द बन सकती हैं.
यहां सपा-बसपा कभी नहीं जीती
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें ऐसी हैं जहां बसपा का सर्वजन हिताय का नारा न काम आ सका है और न ही सपा का यादव-मुस्लिम कार्ड. इनमें कांग्रेस के मजबूत गढ़ अमेठी-रायबेरली से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी भी शामिल है. ऐसी अन्य सीटों में शामिल हैं- बागपत, हाथरस, मथुरा, पीलीभीत, बरेली, लखनऊ, अमेठी, रायबरेली, कानपुर, अकबरपुर (कानपुर देहात), धौरहरा, श्रावस्ती, कुशीनगर और वाराणसी लोकसभा सीटें हैं. इन सीटों पर सपा या बसपा कभी चुनाव जीत नहीं सकी हैं.
सपा-बसपा में सीट शेयरिंगबता दें कि सपा-बसपा गठबंधन ने शीट शेयरिंग के तहत 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं. इसके अलावा दो सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी हैं और रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारने की फैसला किया है. हालांकि सपा-बसपा किन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी इसकी अभी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है.
सपा-बसपा सूबे की जिन 14 सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर सकी है, उनमें अमेठी और रायबरेली को छोड़कर बाकी सीटों में से सपा और बसपा कितने-कितने चुनाव पर लड़ेगी, इसे लेकर भी अभी तस्वीर साफ नहीं है. ऐसे में दोनों पार्टियों के लिए सीट शेयरिंग एक बड़ा सिरदर्द है.
जाट लैंड की ये सीटेंदिलचस्प बात ये है कि बागपत, हाथरस और मथुरा लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां एक दौर में आरएलडी की तूती बोलती थी. ये तीनों सीटें पश्चिम यूपी की हैं और जाट बहुल मानी जाती है. मौजूदा समय में इन तीनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. हालांकि, सपा-बसपा गठबंधन में आरएलडी हिस्सा बनना चाहती है. इसके संकेत सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी दिया है. ऐसा होता है तो इस स्थिति में ये सीटें आरएलडी के खाते में जा सकती हैं.
मुस्लिम बहुल सीटों पर भी नहीं खुला खातापीलीभीत, बरेली, श्रावस्ती और लखनऊ ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता काफी निर्णायक भूमिका हैं. इसके बावजूद सपा-बसपा मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर भी इन सीटों पर जीत का स्वाद नहीं चख सकी है. मौजूदा समय में इन सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. इससे पहले ही बीजेपी इन सीटों को जीतती रही है. लोकसभा चुनाव 2019 में इन सीटों पर सपा-बसपा को गठबंधन को जीतना एक बड़ी चुनौती होगी.