भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर विधानसभा चुनावों के बाद एक बार फिर चर्चा में हैं. अपने ड्रॉइंग रूम में कांग्रेस नेता और सीएम कमलनाथ की तस्वीर लगाने वाले गौर पर बीजेपी ने आंखें तरेर ली हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा है कि किसी को भी पार्टी के अनुशासन के दायरे से बाहर जाने की इजाजत नहीं है. जो अनुशासन से बाहर जाएगा तो हमें अनुशासनात्मक कदम उठाना पड़ेगा. ऐसी स्थति में पार्टी कड़े कदम उठाने में पीछे नहीं रहेगी.
कांग्रेस ने बाबूलाल गौर को भोपाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव देकर बीजेपी में हलचल ला दी है. वहीं कांग्रेस नेता कमलनाथ की तस्वीर गौर ने अपने बंगले में लगा ली है. खेल मंत्री जीतू पटवारी को तस्वीर दिखाते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था तो केंद्र सरकार में तत्कालीन उद्योग मंत्री कमलनाथ ने हमारी खूब मदद की थी.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, ”बीजेपी अब कुशाभाऊ ठाकरे के जमाने की पार्टी नहीं बची जिन्होंने इस पार्टी को जीरो से हीरो बनाया, पार्टी में सबको साथ लेकर चले उन वरिष्ठ नेताओं को आज दरकिनार किया जा रहा है. रघुनंदन शर्मा, लक्ष्मीकांत शर्मा, राघवजी, रामकृष्ण कुसमरिया और सरताज सिंह जैसे नेताओं को पार्टी ने साइडलाइन कर दिया. गौर ने कहा कि वरिष्ठ नेता के सहयोग के बिना पार्टी का भविष्य ठीक नहीं है. पूर्व सीएम ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान के संकेत दिए.”
कांग्रेस सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा, ”बाबूलाल गौर ईमानदारी से अपनी बात करने वाले नेता हैं. उनकी बेबाकी से बात करने की आदत का मैं मुरीद हूं. उन्होंने बिल्कुल सही कहा है कि वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करना बीजेपी के संस्कार में नहीं है. बीजेपी ने मोदी और शाह ने आडवाणी और यशवंत सिन्हा जैसे नेताओं को साइडलाइन कर दिया है, जिन लोगों ने साइकिल पर बैठकर 2 सीटों की पार्टी को यहां पहुचाया वो अब दर-दर भटक रहे हैं.”
लोकसभा लड़वाने का प्लान
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को भोपाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव देकर भारतीय जनता पार्टी में हलचल ला दी है. कोई इसे गौर का स्टाइल बता रहा है तो कोई ‘गौर करने की बात’ कह रहा है. गौर ने गुरुवार की सुबह कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मुलाकात होने और भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिए जाने का खुलासा कर सियासी हलचल ला दी है.
दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के कई नेताओं ने उम्मीदवार न बनाए जाने पर बगावत कर दी थी और निर्दलीय या दूसरे दल के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे. पार्टी के कई नेताओं के बागी तेवरों के कारण ही भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा है, अब फिर कांग्रेस ने भाजपा के बागियों का मन टटोलना शुरू कर दिया है.