नई दिल्ली। सरकार ने सीबीआई में सफाई अभियान जारी रखते हुए गुरुवार को सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को उनके पद से हटाकर सिविल एविएशन सिक्योरिटी ब्यूरो भेज दिया. उनके साथ ही ज्वॉइंट डायरेक्टर ए. के. शर्मा, डीआईजी एम. के. सिन्हा और जयंत नायकनवारे का कार्यकाल भी घटा दिया गया. इससे पहले सरकार ने आलोक वर्मा को सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटा दिया था और फायर सेफ्टी विभाग में भेज दिया था. वर्मा ने बाद में अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया.
सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई डायरेक्टर के रूप में बहाल आलोक वर्मा को चयन समिति की बैठक के बाद निदेशक पद से हटाया गया था. उनको हटाने का फैसला तीन सदस्यों वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने 2-1 के बहुमत से लिया. सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली कि सेलेक्ट कमेटी के फैसले से पहले चीफ जस्टिस की ओर से मनोनीत किए गए सदस्य जस्टिस ए.के. सीकरी ने सरकार का पक्ष लेते हुए कहा कि वर्मा को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच के नतीजों के आधार पर पद से हटा दिया जाना चाहिए.
माना जा रहा है कि अस्थाना के खिलाफ कार्रवाई उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर की गई है. सीबीआई ने अस्थाना, निलंबित पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) देवेंद्र कुमार और 2 अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगा गया है कि उन्होंने दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 के बीच पांच बार रिश्वत ली थी.
अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक कारोबारी से 2 करोड़ रुपए रिश्वत ली. इस मामले की जांच एक विशेष जांच दल कर रहा था.
अस्थाना से पहले आलोक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई हुई. सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर रहे राकेश अस्थाना के साथ वर्मा का विवाद जगजाहिर होने के बाद उनको 23 अक्टूबर की बीच रात एजेंसी के प्रमुख पद से हटा दिया गया लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनको फिर से बहाल कर दिया. कोर्ट ने यह दलील दी कि सरकार सेलेक्ट कमेटी से राय किए बगैर सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति में बदलाव नहीं कर सकती है.
क्या है पूरा मामला
सीबीआई ने मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ एक मामले को रफा-दफा करने के लिए 2 करोड़ रुपए रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया. इसके बाद अस्थाना ने कई मामलों में अपने अधिकारी आलोक वर्मा के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए. मामला धीरे-धीरे सियासी बनता चला गया और विपक्षी दलों ने इसका ठीकरा सीधा प्रधानमंत्री मोदी पर फोड़ा. मामला कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने काफी अहम फैसला सुनाया जिसमें आलोक वर्मा अपने पद पर पुनः बहाल हुए लेकिन सेलेक्ट कमेटी ने उन्हें हटा दिया.
वर्मा के हटते ही सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को फिर से डायरेक्टर का कार्यभार मिल गया. राव 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. अस्थाना और वर्मा ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, जिससे सीबीआई की साख पर सवाल उठे हैं. विवादों के बाद केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. इसके साथ ही राव को अंतरिम निदेशक बनाया गया था. अभी हाल में आलोक वर्मा को डायरेक्टर पद पर बहाल करने के 48 घंटे के भीतर ही उन्हें पद से हटाकर राव को पदभार दिया गया.