नई दिल्ली। आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने के फैसले का विरोध करते हुए कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं कि आखिर पीएम नरेंद्र मोदी आलोक वर्मा को हटाने की जल्दी में क्यों थे? कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आलोक वर्मा को हटाए जाने के फैसले के बाद गुरुवार रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सीवीसी ने आलोक वर्मा पर जो आरोप लगाए थे उनमें कोई सत्यता नहीं पाई गई. 6 आरोप गलत पाए गए, 4 आरोप निराधार मिले. 77 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बहाल किया था, आखिर क्या जल्दी थी कि उन्हें 24 घंटे के अंदर ही पद से हटा दिया गया.
आलोक वर्मा को लेकर फैसले में तेजी पर शंका जाहिर करते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि क्या कुछ ऐसा है जिसे सरकार छिपाना चाहती है. आनंद शर्मा का कहना था कि सीवीसी की रिपोर्ट में अगर सुप्रीम कोर्ट कुछ गलत लगता तो सुप्रीम कोर्ट उस पर कार्रवाई करता. सवाल उठता है क्या सीवीसी पीएम के इशारे पर काम कर रहा था. आनंद शर्मा ने कहा कि आधी रात को सीबीआई चीफ को क्यों हटाया गया, इसका जवाब नहीं मिल पाया है. एक सामान्य आदमी न्याय की अपेक्षा करता है उसकी अपेक्षा आलोक वर्मा भी कर सकते हैं.
उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्या घबराहट है पीएम को कि वह आलोक वर्मा को हटाना चाहते हैं और अपने मनपसंद व्यक्ति को लाना चाहते हैं. क्या कुछ ऐसा है कि जिसकी जांच नहीं चाहते या किसी व्यक्ति को जांच से बचाना चाहते हैं. अगर सीवीसी को ही सीबीआई चीफ के लिए पैनल बनाना है तो उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है.
आनंद शर्मा ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने अपना प्रतिनिधि भेजा था, कांग्रेस से खड़गे कमेटी में थे, लेकिन सवाल अपनी जगह कायम हैं. उन्होंने मांग की कि आलोक वर्मा को अपना कार्यकाल पूरा करने दिया जाए. एक कमेटी इस मामले की जांच करे कि आखिर आधी रात को उन्हें क्यों हटाया गया. क्या यह सब पीएम के इशारे पर हो रहा है कि किसे सीबीआई चीफ बनाना है या किसे हटाना है. वह कौन सी चीजें हैं जिस पर सरकार पर्दा डालना चाहती है. आनंद शर्मा ने यह भी कहा कि सीवीसी के साथ सीबीआई ने भी अपनी विश्वसनीयता खो दी है. अब इस संस्था में विश्वास कैसे बहाल होगा.