जानिये, गिरफ्तार श्रीकांत त्यागी को दोषी साबित होने पर कितनी होगी सजा?

नोएडा की ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी से दबंगई करने वाले गालीबाज नेता श्रीकांत त्यागी के खिलाफ अब ताबड़तोड़ एक्शन लिया जा रहा है, पुलिस ने उसे पकड़ने के लिये आठ टीमें गठित की है, साथ ही उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार का ईनाम भी घोषिचत किया है, खुद को बीजेपी नेता बताने वाले श्रीकांत त्यागी के खिलाफ नोएडा पुलिस ने आईपीसी की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है, आइये जानते हैं कि कौन सी धारा में दोषी पाये जाने पर कितनी सजा मिलेगी।

फेज टू में केस दर्ज

पुलिस ने शुक्रवार को त्यागी के खिलाफ नोएडा के थाना फेज-2 में मुकदमा अपराध संख्या 0329 दर्ज किया है, जिसमें त्यागी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 का इस्तेमाल किया गया है, जबकि नई एफआईआर में उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 419, 420 और 482 भी लगाई गई है, क्योंकि उसने अपनी कार पर यूपी सरकार का स्टिकर भी लगा रखा था।
धारा 354- आईपीसी की धारा 354 का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है, जहां स्त्री की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिये उस पर हमला किया गया हो, साथ ही गलत मंशा से जोर-जबरदस्ती की गई हो। यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने के लिये उस पर हमला या जोर जबरदस्ती करता है, तो उस पर आईपीसी की धारा 354 लगाई जाती है, इस केस में दोष सिद्ध होने पर दो साल तक की कैद तथा जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

धारा 323- आईपीसी की धारा 323 के मुताबिक जो व्यक्ति जानबूझकर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है, उसे इस कृत्य के लिये अपराधी माना जाएगा, इस केस में 1 साल तक की जेल या एक हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है, या फिर दोनों तरह से दंडित किया जा सकता है, ये एक जमानती तथा गैर संज्ञेय अपराध है।

धारा 419- आईपीसी के मुताबिक जो भी कोई प्रतिरुपण द्वारा छल करेगा, तो इस कृत्य के लिये अपराधी माना जाएगा। ऐसा करने वाले को किसी एक अवधि के लिये जेल से दंडित किया जा सकता है, अधिकतम तीन साल की जेल हो सकती है, आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

धारा 420- श्रीकांत त्यागी को आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा करने का आरोपित बनाया गया है, अगर कोई किसी शख्स को धोखा दे, बेईमानी से किसी भी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दे या ले, या किसी बहूमूल्य वस्तु या उसके हिस्से को धोखे से खरीदे-बेचे, या उपयोग करे, या किसी भी हस्ताक्षरित या मुहरबंद दस्तावेज में परिवर्तन करे, या उसे बनाये या उसे नष्ट करे, या ऐसा करने के लिये किसी को प्रेरित करे, तो वो 420 के अनुसार दोषी माना जाता है, इस केस में एक साल जेल की सजा हो सकती है, इसे सात साल के लिये बढाया जा सकता है, साथ ही आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

धारा 482- आईपीसी की धारा 482 के मुताबिक जो भी कोई किसी गलत संपत्ति मुहर का इस्तेमाल करता है, जब तक वो ये ना साबित कर दे, कि उसने ऐसा काम कपट करने के आशय से नहीं किया है, तो ऐसा करने वाला वो शख्स अपराधी माना जाएगा। इस केस में एक साल की सजा हो सकती है, या फिर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

क्या होता है गैंगस्टर
भारत में गिरोह बनाकर अपराध करने वाले बदमाशों के खिलाफ सरकार ने 1986 में गैंगस्टर एक्ट बनाया और लागू किया था, गैंगस्टर अधिनियम 1986 के अनुसार एक या एक से अधिक व्यक्तियों का समूह जो अपराध के जरिये अनुचित लाभ अर्जित करता है, या इस मकसद से एक्ट में उल्लेखित अपराध करता है, तो वो गैंगस्टर कहा जाता है। फिर चाहे वो किसी भी तरह का अपराध हो, सीधे कहें, तो गैंगस्टर क अपराधी है।