रूस-यूक्रेन वॉर के बीच बाइडेन से ज्यादा मोदी सरकार के रुख की क्‍यों हो रही चर्चा?

नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले से पैदा हुई स्थिति के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से बात की और तत्काल हिंसा रोकने की अपील करते हुए सभी पक्षों को कूटनीतिक बातचीत के जरिए सुलझाने की सलाह दी. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) से ज्यादा भारत के रुख की चर्चा हो रही है. जो बाइडेन ने भी कहा है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भारत से विचार-विमर्श करेंगे.

मोदी सरकार के रुख की चर्चा क्यों?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता दे दी थी. इस पर भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपना पक्ष रखा था. इन दोनों इलाकों को रूस समर्थित विद्रोहियों ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ दोनेत्स्क और लुहांस्क घोषित किया था और 2014 से ही ये यूक्रेन से लड़ रहे हैं. इसके साथ ही पुतिन ने रूसी सैनिकों को भी इन इलाकों में जाने का आदेश दिया था.

पुतिन के इसी फैसले को लेकर मंगलवार को यूएन सुरक्षा परिषद की बैठक हुई थी, जहां भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने भारत का पक्ष रखते हुए सभी से संयम बरतने की अपील की थी. एक तरफ पश्चिमी देशों ने व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को आड़े हाथों लिया तो दूसरी तरफ भारत ने न रूस की निंदा की और न ही यूक्रेन की संप्रभुता की बात की. भारत के इस रुख पर कई लोगों ने सवाल उठाए तो कई लोगों ने बिल्कुल सही ठहराया.

पीएम मोदी ने की तत्काल हिंसा रोकने की अपील

अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से बात की है और इस दौरान उन्होंने ‘अपने दीर्घकालिक दृढ़ विश्वास’ को दोहराया कि रूस और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) समूह के बीच मतभेदों को सिर्फ ‘ईमानदार और गंभीर वार्ता’ से ही सुलझाया जा सकता है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, बातचीत के दौरान पुतिन ने पीएम मोदी को यूक्रेन से संबंधित हालिया घटनाक्रम से अवगत कराया. इसके बाद पीएम मोदी ने तत्काल हिंसा रोकने की अपील की और सभी पक्षों से कूटनीतिक बातचीत और संवाद की राह पर लौटने के ठोस प्रयास करने का आह्वान किया.’

इससे पहले यूक्रेन ने भारत से मदद की मांग की थी. भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने कहा कि प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी उन कुछ गिने-चुने नेताओं में शामिल शामिल हैं, जिनकी बात रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सुनते हैं.

वहीं यूरोपियन काउंसिल के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर काम करने वाले रिचर्ड गोवान ने भी भारत के रुख पर अपनी राय रखी. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘गैर-नाटो देशों में भारत सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में यूक्रेन संकट पर बोला. भारत ने कूटनीति के जरिए तनाव कम करने की तमाम बातें कीं, लेकिन रूस की न तो निंदा की और न ही यूक्रेन की संप्रभुता का जिक्र किया.’