गाजियाबाद/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद अंतर्गत डासना में स्थित शिव-शक्ति पीठ में तब खलबली मच गई, जब बुधवार (11 अगस्त, 2021) को तड़के सुबह पेपर कटर से किए गए ताबड़तोड़ हमले में समस्तीपुर के संत नरेशानंद सरस्वती बुरी तरह घायल हो गए। उन पर एक के बाद एक 10 से अधिक वार किए गए। जिस समय ये हमला हुआ, महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती बराबर के कमरे में ही सो रहे थे। मंदिर की सुरक्षा में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, इसके बावजूद ये सब हुआ।
संत नरेशानंद के बारे में बता दें कि वो बिहार के समस्तीपुर जिले के पटोरी थाना क्षेत्र स्थित शाहपुर उंडी के निवासी हैं। गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है, जहाँ वो ज़िंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। उनकी गर्दन और पेट पर सबसे ज्यादा वार किए गए। घटना की सूचना मिलने के बाद समस्तीपुर में उनके परिजन खासे बेचैन हैं। 53 वर्षीय संत नरेशानंद सरस्वती ने स्नातक की पढ़ाई के बाद सन् 1990 में ही संन्यास ग्रहण कर लिया था।
स्वामी विवेकानंद से प्रभावित रहे संत नरेशानंद सरस्वती ने युवा उम्र में ही भगवा वस्त्र धारण कर लिए थे। वो अविवाहित हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। वो देश के कई इलाकों में घूम-घूम कर हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार करते थे। उनके पिता का निधन हो चुका है। उनकी माँ उनके पैतृक घर में ही रहती हैं। घर त्याग चुके नरेशानंद लगभग डेढ़ वर्ष पहले अपनी माँ से मिलने आए थे। लेकिन, फिर वो ईश्वर के कार्य के लिए निकल पड़े।
पटोरी के लोग इस घटना से मर्माहत हैं और उनमें आक्रोश भी है। रोती हुई माँ देवकली देवी अपने इष्टदेव से अपने पुत्र के जल्दी ठीक होने की कामना कर रही हैं। स्थानीय लोग दिल्ली में उन लोगों से संपर्क में हैं, जो नरेशानंद के करीबी हैं। उनके भाई गाजियाबाद रवाना होने की तैयारी कर रहे हैं। स्थानीय भाजपा व विहिप नेताओं ने इस हमले की निंदा की है। सीसीटीवी कैमरे और 22 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में इस हमले के होने की बात सुन कर लोग आक्रोशित हैं।
संत नरेशानंद पर जब चाकुओं से ताबड़तोड़ वार किया गया, जब वो जख्मी अवस्था में ही चीखते हुए दौड़ पड़े। बदहवास नरेशानंद अपने एक हाथ से गर्दन और दूसरे हाथ से अपनी आँत को संभालते हुए दौड़ने लगे। उनकी आँतें पेट से बाहर निकल कर आ गई थीं। सीने पर भी वार किए गए थे। हमलावर ने पेपर कटर का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। मनोज नाम के साधु उनके बगल में ही सो रहे थे।
यह लड़ाई हम सब सनातनियों के अस्तित्व की लड़ाई है हमें इसे साथ मिलकर लड़ना है और धरती से जिह|द नाम की गंदगी को समाप्त कर देना है । pic.twitter.com/QyNaJj158v
— Yati Narsinghanand Saraswati (@NarsinghUvach) August 12, 2021
असल में भाजपा नेता व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के आंदोलन में शामिल होने आए कुछ साधु महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के डासना मंदिर में ही ठहरे हुए थे और रात्रि प्रवास कर रहे थे। आश्रम में उस वक़्त 50 से अधिक लोग मौजूद थे। मनोज का कहना है कि एक पल तो उन्हें ऐसा लगा जैसे वो सपना देख रहे हों और सपने में उन्हें कोई मारने आया हो। चादर ओढ़े होने के कारण उन्हें कुछ साफ़-साफ़ नहीं दिखा।
हमले के समय मंदिर परिसर व इसके आसपास 22 पुलिसकर्मियों के अलावा 8 निजी सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे। मंदिर के भीतर प्रबंधन ने सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे हैं, जो काम नहीं कर रहे। पुलिस अब भी सुराग तलाश रही है। मनोज ने बताया कि नरेशानंद के चीखने से उनकी आवाज़ खुली। वो पुलिसकर्मियों की तरफ भाग रहे थे। यूपी पुलिस लापरवाह कर्मियों पर कार्रवाई की तैयारी में है। एसपी देहात ने एसएसपी को रिपोर्ट भेज दी है।