असम को पसंद आया विकास का रास्ता, आंदोलन, आतंकवाद और हथियार को छोड़ आगे बढ़ा राज्य: गृहमंत्री अमित शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूर्वोत्तर के दो दिन के दौरे पर हैं। रविवार को शाह ने असम में कई प्रमुख योजनाओं का उद्घाटन किया। अपनी पूर्वोत्तर यात्रा के दूसरे दिन रविवार को असम की राजधानी गुवाहाटी में कोरोना से जान गवाने वाले व्यक्तियों के परिजनों को केंद्रीय गृहमंत्री ने एक-एक लाख रुपए के चेक प्रदान किए। असम राइफल्स के जवानों से मुलाकात की।

शाम को कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि असम में दूसरी बार अपने बल पर भाजपा की सरकार बनी है। असम में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने का मतलब है कि असम ने आंदोलन, आतंकवाद और हथियार तीनों को हमेशा के लिए छोड़कर विकास के रास्ते पर जाना तय किया है।

अमित शाह ने कहा कि जिस प्रकार से पाँच वर्ष में सर्बानंद सोनोवाल और हिमंत बिस्वा सरमा की जोड़ी ने सरकार चलाई है। असम की जनता को विकास का रास्ता पसंद आया और उसी का परिणाम है कि हिमंता बिस्व सरमा आज फिर से सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। मैं असम की टीम को सरमा की दूसरी पारी के लिए बधाई देता हूँ।

केंद्रीय गृहमंत्री ने आगे कहा, “भाजपा असम की भाषा इसकी विरासत और इसकी जैविक संस्कृति की रक्षा और संरक्षण करना चाहती है। भाजपा का मानना है कि भाषाएँ, बोलियाँ, व्यंजन और ऐसे ही अन्य लक्षण भारत के रत्न हैं और हमें उन्हें संरक्षित करने की जरूरत है।”

हाल ही में केंद्र में हुए कैबिनेट विस्तार पर बोलते हुए शाह ने कहा कि यह अभूतपूर्व है कि सरकार की कैबिनेट में 5 मंत्री पूर्वोत्तर भारत से आते हैं। पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर में नई विकास के रस्ते की शुरुआत की है। उन्होंने सात वर्षों में 35 बार इस क्षेत्र का दौरा किया है। किसी अन्य पीएम ने इतनी बार इस क्षेत्र की यात्रा नहीं की है।

शाह ने कहा, “आजादी के बाद से एक बार भी पूर्वोत्तर के 5 मंत्रियों को कैबिनेट में नहीं चुना गया है। ऐसा पहली बार पीएम मोदी के कैबिनेट में किया गया है। इससे पता चलता है कि बीजेपी और पीएम मोदी की प्राथमिकताओं में नॉर्थ ईस्ट कहाँ स्थान रखता है। हम विकास में पूर्वोत्तर का योगदान बढ़ाना चाहते हैं।”

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में बोडोलैंड समझौता हुआ था। हम समझौते की 90 फीसद शर्तें पहले ही दे चुके हैं। साथ ही कहा कि मोदी सरकार में हुए कई समझौतों के तहत पूर्वोत्तर के 2,100 से अधिक लोगों ने अपने हथियार छोड़े हैं। मोदी सरकार के कामकाज के तरीके ने असम के लिए नैरेटिव को बदल दिया है। उन्हें विकास के लिए विद्रोह की जरूरत नहीं है, उन्हें सिर्फ सहयोग प्रदान करने की जरूरत है।”