नक्सली हमलों में 70% कमी, फिर भी 3 साल में वामपंथी आतंकवाद ने 162 जवानों, 463 नागरिकों का खून बहाया

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुए नक्सली हमले में 23 जवान बलिदान हो गए। लापता सीआरपीएफ जवान राकेश्वर सिंह के नक्सलियों के कब्जे में होने की आशंका है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क​हा है कि ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और नक्सलियों के खिलाफ अभियान और तेज होगा।

आँकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में नक्सली हिंसा में लगातार कमी आई है। बावजूद इसके 2018-2020 के बीच वामपंथी आतंकवाद ने 162 जवानों और 463 नागरिकों की जान ली है। इसी साल फरवरी में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने नक्सली हिंसा से जुड़े तथ्य सामने रखे थे।

इस अंतराल में 473 नक्सली भी मार गिराए गए। 4319 नक्सलियों को अलग-अलग राज्यों से गिरफ्तार किया गया। इसके मुताबिक तीन साल की अवधि के दौरान देश में नक्सली हिंसा की 2168 घटनाएँ हुईं।


लोकसभा में सरकार द्वारा नक्सली हमलों के बारे में दिया गया विवरण (साभार: लोकसभा)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया था कि 2009 के मुकाबले 2020 में इस तरह की घटनाओं में 70 फीसदी तक की कमी आई है। 2009 में यह संख्या 2258 थी जो 2020 में घटकर 665 हो गई। सरकार ने बताया है कि वामपंथियों की हिंसा से होने वाली मौतों में भी 80 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। हिंसा की वजह से 1805 मौतें हुई थीं जो 2020 में 183 पर पहुँच गई।

सरकार ने जानकारी दी कि आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना में 2018 में वामपंथी हिंसा की 833 घटनाएँ हुईं। 2018 के दौरान इन राज्यों में 173 नागरिकों की मौत हुई और 67 सुरक्षाकर्मी बलिदान हुए थे। 2018 में 225 नक्सली मारे गए थे, जबकि 1933 को गिरफ्तार किया गया था।

इन राज्यों में 2019 में नक्सल हिंसा के 670 मामले दर्ज किए थे। इसमें 150 नागरिक मारे गए और 52 सुरक्षाकर्मी भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। आँकड़ों के मुताबिक इसी साल 145 नक्सली मारे गए और 1276 को गिरफ्तार किया गया।

वहीं इन प्रदेशों में साल 2020 में 665 नक्सली हिंसा की वारदातें हुईं थीं। इनमें कम से कम 140 नागरिकों की मौत हुई और 43 सुरक्षाकर्मियों को अपनी जान गँवानी पड़ी। इसके अलावा 103 वामपंथी चरमपंथी भी मारे गए थे, जबकि 1110 को गिरफ्तार किया गया था।

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा नक्सली हिंसा हुई। आँकड़ों के मुताबिक 2018 में 392, 2019 में 263 और 2020 में 315 नक्सल वारदातें इसी राज्य में हुई। छत्तीसगढ़ में ही सर्वाधिक सुरक्षाकर्मियों का बलिदान भी हुआ। यहाँ 2018 में 55, 2019 में 22 और 2020 में 36 जवानों का बलिदान हुआ। बीते तीन 3 साल में इन हमलों में राज्य में 228 नागरिकों की मौत हुई। 2018 में सर्वाधिक 98 लोगों की हत्या नक्सलियों ने की।

छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड में नक्सली हिंसा के कारण सबसे अधिक जवानों का बलिदान हुआ है। 2018 में वामपंथी हिंसा की 205 घटनाएं हुईं, जिसमें नौ सुरक्षा अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए। 2019 में राज्य में एलडब्ल्यूई हिंसा की 200 वारदातों में 22 सुरक्षाकर्मियों का बलिदान हुआ। इसके अलावा 2020 में 199 वारदातों में एक सुरक्षाकर्मी वीरगति को प्राप्त हुआ। तीन वर्षों के दौरान झारखंड में 114 नागरिकों की मौत हुई है। 2018 और 2020 के बीच आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कोई भी सुरक्षाकर्मी बलिदान नहीं हुआ।

गौरतलब है कि शनिवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में 23 जवान बलिदान हो गए थे। वहीं पिछले महीने छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान आईईडी विस्फोट में DRG के पाँच जवान बलिदान हुए थे। छत्तीसगढ़ पहुँचे अमित शाह ने सोमवार को कहा, “नक्सलियों के खिलाफ इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाना मोदी सरकार की प्राथमिकता है। पिछले 5-6 वर्षों में हमने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काफी अंदर तक जाकर सुरक्षा कैंप बनाए हैं। मैं देश को विश्वास दिलाता हूँ कि नक्सलियों के खिलाफ ये लड़ाई और तीव्र होगी। हम विजयी होंगे।”