सात सीटो पर जीतने वाले सिर्फ डेढ़ साल के लिए बन सकेंगे विधायक

सात में से छह पर भाजपा तो एक पर सपा काबिज

राजेश श्रीवास्तव
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में जिन सात सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हुआ है। उनमें सभी राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के सामने जहां-जहां अपना गढ़ बचाने की चुनौती है तो बहुजन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इस कोशिश में हैं कि कहीं कोई जगह बना सकें। गौरतलब है कि जिन आठ सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से छह पर भाजपा तो दो पर सपा काबिज थी।
यूपी में भाजपा को काबिज हुए लगभग साढ़े 3 साल का वक्त बीत चुका है। ऐसे में अब निर्वाचित विधायकों के पास सदन में बैठने का बहुत ज्यादा मौका नहीं होगा। सभी 8 निर्वाचित विधायक डेढ़ साल से भी कम वक्त के लिए निर्वाचित होंगे। दरअसल, 2०22 में यूपी एक बार फिर विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगा। 2०17 विधानसभा चुनाव में 8 में से 6 पर भाजपा का कब्जा था। उसमें से निर्वाचित विधायक कमल रानी वरुण, पारसनाथ यादव, वीरेंद्र सिरोही, जन्मेजय सिह, चेतन चौहान का निधन हो चुका है।
14 महीने से खाली चल रही सुहाग नगरी की टूंडला विधानसभा (आरक्षित) सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज गया। एक महीने पहले शुरू हुईं सियासी दलों की तैयारियों में फिलहाल भाजपा आगे चल रही है। दोनों उपमुख्यमंत्री और ऊर्ज़ा मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुके हैं। इसके साथ ही बसपा का सम्मेलन हो चुका। कांग्रेस और सपा स्थानीय स्तर पर जुटी है। तारीख तय होते ही टिकट की कतार में लगे सूरमाओं ने सक्रियता तेज कर दी है। बसपा ने संजीव चक, सपा ने महराज सिह धनगर तथा प्रसपा ने प्रकाश मौर्य को प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा के डॉ.एसपी सिह बघेल के सांसद होने पर खाली इस सीट पर प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
बहुजन समाज पार्टी इससे पहले उप चुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारती थी। इस बार बसपा के मैदान में होने से मुकाबला रोमांचक होगा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीन प्रत्याशी का नाम लगभग फाइनल कर दिया है। इससे पहले आमतौर पर अभी तक बसपा उपचुनाव से परहेज ही करती रही है, लेकिन इस बार वही भी अपनी किस्मत आजमा रही हैं। यदि एक भी सीट उसके खाते में आ गई तो 2०22 के लिए एक मजबूत संदेश जाएगा। इसके साथ ही इस बार तो प्रसपा भी मैदान में रहेंगे।
मल्हनी, जौनपुर : जौनपुर की यह अहम सीट 2०17 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव ने जीती थी। इनके निधन के कारण ये सीट खाली हुई है। उनके खिलाफ बाहुबली धनंजय सिह भी निषाद पार्टी से उतरे थे। यादव और ठाकुर बाहुल्य इस सीट पर इस बार भी मुकाबला कठिन होगा।
बांगरमऊ, उन्नाव : भाजपा से निष्कासित दुष्कर्म कांड के दोषी कुलदीप सिह सेंगर की सदस्यता जाने के कारण सीट खाली हुई है। यहां से भाजपा के कुलदीप सिह सेंगर 2०17 के चुनाव में जीते थे।
देवरिया सदर, देवरिया : भाजपा के जन्मेजय सिह के निधन के कारण यह सीट खाली हुई है।
टूण्डला, फिरोजाबाद : योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री एसपी सिह बघेल के आगरा से भाजपा से सांसद बनने के बाद से यह सीट खाली चल रही है। बीते वर्ष उपचुनाव में इस सीट पर चुनाव नहीं कराए जा सके थे क्योंकि मामला कोर्ट में चला गया था। अब यहां चुनाव होंगे।
बुलंदशहर सदर, बुलंदशहर : 2०17 के चुनाव में यहां से भाजपा के वीरेन्द्र सिह सिरोही विधायक चुने गये थे। उनके निधन के कारण यह सीट खाली हुई है।
घाटमपुर, कानपुर शहर : योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री कमलरानी वरूण के निधन से यह सीट खाली हुई है। मंत्री कमलरानी वरुण का निधन कोरोना संक्रमण के कारण हो गया था।
नौंगाव सादात, अमरोहा : पूर्व सांसद तथा टेस्ट क्रिकेटर 2०17 के चुनाव में भाजपा से विधायक चुने गये थे। वह योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे मंत्री जिनका कोरोना से निधन हुआ। इसी कारण यह सीट खाली है।
8- स्वार, रामपुर : रामपुर से सांसद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां के कम उम्र साबित होने के कारण सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इसी वजह से स्वार की सीट खाली हो गई है। फिलहाल अब्दुल्ला आजम खां का मामला राष्ट्रपति के पास है, इसी कारण यहां मतदान नहीं होगा।