तीरंदाजी कोच ने दिया इस्तीफा, 3 साल पुराने मामले के कारण छिना था द्रोणाचार्य अवार्ड

चंडीगढ़। अनुशासनहीनता के पूर्व के मामले के कारण द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामितों की सूची से हटाये जाने से नाराज राष्ट्रीय कंपाउंड तीरंदाजी कोच जीवनजोत सिंह तेजा ने शुक्रवार को त्यागपत्र दे दिया. तेजा ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने भारतीय तीरंदाजी टीम कोच पद से त्यागपत्र दे दिया है.’’ उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ अन्याय हुआ.

तेजा ने कहा, ‘‘मैं पुरस्कार की मांग नहीं कर रहा हूं लेकिन उम्मीद्वारों के चयन में पारदर्शी प्रक्रिया चाहता हूं.’’ तेजा राष्ट्रीय कंपाउंड टीम के मुख्य कोच के रूप में एशियाई खेलों के लिए जकार्ता गये थे. उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता के आरोप और उसके बाद एक साल का प्रतिबंध बीती बातें हैं और वह बहुत पहले आरोपमुक्त हो चुके थे.

घटना के लिए वे जिम्मेदार नहीं थे?
उन्होंने कहा कि उस मामले में उन्हें गलत घसीटा गया क्योंकि जो घटना हुई थी उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं थी और उन्हें गलत सजा दी गयी. तेजा ने कहा कि खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ खिलाड़ी रहे हैं और उन्हें तथ्यों से अवगत होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘इसे ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे मैं चोर हूं. यह घोर अन्याय है. मैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से गुहार लगाऊंगा.’’

मंत्रालय ने अनुशासनहीनता के पुराने मामले के कारण द्रोणाचार्य पुरस्कार से हटाया था नाम
गौरतलब है कि बुधवार को ही खेल मंत्रालय ने  तेजा का नाम अनुशासनहीनता के पुराने मामले के कारण द्रोणाचार्य पुरस्कारों के लिए नामितों की सूची से हटा दिया था. खेल मंत्रालय ने उन बाकी सभी नामों को मंजूरी दे दी जिनके नामों की की सिफारिश चयन समिति खेल रत्न, अर्जुन और ध्यानचंद पुरस्कारों के लिए की थी.

तेजा उन पांच प्रशिक्षकों में शामिल थे जिनके नाम की सिफारिश द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए की गयी थी लेकिन कोरिया में विश्व विश्वविद्यालय खेलों के दौरान 2015 में अनुशासनहीनता की एक घटना के कारण उन पर एक साल का प्रतिबंध लगा था.

समय पर नहीं पहुंची थी टीम
मंत्रालय के सूत्र के मुताबिक, ‘‘तेजा पर 2015 की एक घटना के कारण के कारण अनुशासनहीनता के लिए एक साल का प्रतिबंध लगा था. वे विश्व विश्विद्यालय खेलों में मुख्य तीरंदाजी कोच थे और महिला टीम समय पर प्रतियोगिता के लिए नहीं पहुंची थी और भारत को देर से पहुंचने के कारण मैच गंवाना पड़ा था. भारतीय तीरंदाजी संघ ने इस घटना के बाद उन पर एक साल का प्रतिबंध लगाया था.’’

तीरंदाजी संघ के एक अधिकारी ने कहा कि अगर तेजा का नाम तीन साल पहले की इस घटना के आधार पर हटाया गया तो यह उनके साथ अन्याय होगा. उन्होंने कहा, ‘‘यह सच है कि तेजा पर 2015 की घटना के बाद एक साल का प्रतिबंध लगा था लेकिन प्रतिबंध समाप्त होने के बाद उन्होंने अच्छे परिणाम दिए थे. अगर इस घटना के आधार पर उनका नाम हटाया गया है तो यह उनके साथ अन्याय है.’’

तेजा ने इस पर प्रतिक्रिया करते हुए खेल मंत्रालय के कदम को ‘अन्यायपूर्ण’ करार दिया था. उन्होंने कहा कि वह इसके खिलाफ अदालत में जाएंगे. वर्ष 2015 से राष्ट्रीय कंपाउंड तीरंदाजी कोच रहे तेजा ने कहा, ‘‘कुछ लोग हैं जो मेरी प्रतिष्ठा खराब करना चाहते हैं. जो तीरंदाज मुझसे प्रशिक्षण लेते हैं उनसे पूछो. उनसे पूछो कि मैंने उनके अभ्यास के तरीके में क्या प्रभाव डाला. अगर इस मामले में मैं गलत था तो इसका जांच करवाएं.’’

एएआई ने एक साल का प्रतिबंध लगाया था
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) ने 2015 की घटना के लिए उन पर तीन साल का जबकि एएआई ने एक साल का प्रतिबंध लगाया था. तेजा ने कहा, ‘‘एआईयू ने भी प्रतिबंध घटाकर डेढ़ साल का कर दिया था क्योंकि उन्होंने पाया कि गलती मेरी नहीं थी. ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया और वह दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी. दल प्रमुख कार्यक्रम में बदलाव के बारे में जानता था लेकिन उन्होंने हमें सूचित नहीं किया. यह सरकार से मंजूरी प्राप्त प्रतियोगिता भी नहीं थी और मैं खुद से जेब से पैसा लगाकर वहां गया था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एएआई का एक साल का प्रतिबंध भी झेला है. जब मुझे सजा मिल चुकी है तो क्या यह घटना जिंदगी भर मेरा पीछा करती रहेगी. अगर मैं गलत था तो मुझे भारतीय कोच के रूप में एशियाई खेलों में क्यों भेजा गया. मेरी 2015 के बाद की उपलब्धियों का क्या होगा, क्या उन पर विचार नहीं किया जाएगा. यह वास्तव में निराशाजनक है.’’

द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रशिक्षकों को चार साल तक के उनके अच्छे कार्य के लिए दिया जाता है. इसमें पांच लाख रूपये का पुरस्कार मिलता है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में खेल पुरस्कार प्रदान करेंगे.

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