नई दिल्ली। मुसलमानों के सबसे बड़े सगठनों में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिन्द (Jamiat-Ulema-e-Hind) कश्मीर (Kashmir) मामले में सरकार के समर्थन में आ गयी है. जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द की दिल्ली में जरनल बॉडी की बड़ी मीटिंग हुई, जिसमें करीब तीन हजार सदस्यों ने हिस्सा लिया. इस दौरान कश्मीर मुद्दे पर प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें कहा गया कि कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है, ये बात जमीयत पहले भी कहती रही है आज भी दोहराती है. इसके साथ ही जमीयत ने एनआरसी के मुद्दे पर भी प्रस्ताव पास किया.
अलगाव को जमीयत स्पोर्ट नहीं करती और पाकिस्तान से कहना चाहती है कि वो भारत के मुसलमानों को लेकर अपनी बयानबाजी बंद करें. इस मौके पर जमीयत उलेमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान मिलने की वो पैरवी करते है.
जमीयत ने एनआरसी के मुद्दे पर भी प्रस्ताव पास किया और असम में एनआरसी कराने का स्वागत करते हुए कहा कि अगर सरकार को लगता है कि वो देशभर में एनआरसी कराना चाहती है तो वो इसका भी स्वागत करते है. मदनी ने कहा कि इससे साफ पता चल जाएगा कि देश में घुसपैठिया कितने है और इस पर राजनीति बंद होगी.
इसके अलावा जमीयत ने जमीयत सद्भावना मंच बनाने का भी ऐलान किया है, जिसमे मुस्लिमों के अलावा भी दूसरे धर्मों के सदस्य होंगे. ऐसा पहली बार होगा कि जमीयत उलेमा ए हिन्द में गैर मुस्लिम भी सदस्य होंगे. अब तक सिर्फ मुस्लिम ही जमीयत में सदस्य होते थे. इस मामले में जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी ने कहा देश मे ऐसा माहौल है, जिससे दूरिया बढ़ रही है, ऐसे में सद्भावना मंच की बेहद सख्त जरूरत है.