विश्वकप में श्रीलंका ने बड़ा उलटफेर कर दिया है। नंबर वन टीम कही जा रही इंग्लैंड को हराकर श्रीलंका ने सेमीफाइनल के दौड़ को दिलचस्प बना दिया है। सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली संभावित 4 टीमों को लेकर उठापटक का दौर लगातार जारी है। क्या हो सकती है सेमीफाइनल की लाइन अप, किन टीमों का आखिरी चार में पहुंचना लगभग तय माना जा रहा है, आइये इस पर एक नजर डालते हैं।
ऑस्ट्रेलिया
6 मैचों में 5 जीत के साथ कंगारु टीम अंक तालिका में नंबर एक पर चल रही है। ऑस्ट्रेलिया के खाते में फिलहाल 10 अंक है, हालांकि उन्हें बाकी बचे तीन मैचों में कड़ी चुनौती मिल सकती है, क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई टीम की भिड़ंत इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलना है।
टीम इंडिया
फिलहाल भारतीय टीम 4 मैचों में 7 अंकों के साथ चौथे नंबर पर है, लेकिन खास बात ये है कि विराट सेना ने अभी तक सिर्फ 4 मैच ही खेले हैं, वह वो बड़ी टीमों के खिलाफ, भारतीय टीम को अभी 5 मैच और खेलना है, इनमें से ज्यादातर मैच कमजोर टीमों के खिलाफ है, आज भारतीय टीम अफगानिस्तान के खिलाफ खेलेगी, इसके बाद वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, बांग्लादेश और श्रीलंका के खिलाफ मैच होना है।
इंग्लैंड
मेजबान इंगलिश टीम जबरदस्त फॉर्म में है, लेकिन श्रीलंका ने जिस तरह से उन्हें हराया, उससे निश्चित रुप से उनके हौसले पस्त हुए होंगे, इंग्लैंड की टीम को 6 मैचों में 4 जीत मिली है। आने वाले मैचों में उन्हें ऑस्ट्रेलिया, भारत और न्यूजीलैंड से भिड़ना है, इन टीमों के खिलाफ इंग्लैंड को विश्वकप में पिछले 27 साल से जीत नहीं मिली है, ऐसे में अगर बाकी बचे मुकाबलों में इंग्लैंड हारती है, तो उनके लिये सेमीफाइनल की राह आसान नहीं होने वाली है।
न्यूजीलैंड
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ धमाकेदार जीत के बाद न्यूजीलैंड के हौंसले बुलंद हैं, 5 में से 4 जीत के साथ किवी टीम प्वाइंट टेबल पर दूसरे नंबर पर है। आने वाले दिनों में उन्हें वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से भिड़ना है। न्यूजीलैंड की टीम को एक भी हार का सामना नहीं करना पड़ा है।
क्या होगा बाकी टीमों का
बड़ी टीमों में अगर बात करें तो दक्षिण अफ्रीका और पाक की टीम सेमीफाइनल की रेस में लगभग बाहर हो चुकी है, अब कोई चमत्कार ही उन्हें आखिरी चार में पहुंचा सकता है, जबकि बांग्लादेश के लिये भी उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी है, श्रीलंका ने इंग्लैंड को हराकर थोड़ी उम्मीदें जरुर जगा ली है, लेकिन आगे का सफर उनके लिये भी मुश्किल लग रहा है। जबकि अफगानिस्तान का पत्ता तो साफ हो चुका है।