लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी कर रही तृणमूल कांग्रेस अपने नेताओं की आपसी लड़ाई में उलझ गई है. एक जनवरी को पार्टी की स्थापना दिवस के अवसर पर तृणमूल कांग्रेस में पुराने नेता बनाम नये नेता का विवाद खुलकर सामने आ गया. पार्टी की स्थापना के समय से ममता बनर्जी के साथ के नेता पुराने नेताओं का प्रतिधित्व कर रहे हैं, जबकि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी नए नेताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उनके समर्थक सोशल मीडिया पर अपने-अपने पक्ष में बयानबाजी कर रहे हैं. हालांकि एक दिन पहले ही अभिषेक बनर्जी ने कालीघाट जाकर पार्टी सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी, लेकिन यह विवाद अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है.
जैसे-जैसे समय बीत रहा है कि तृणमूल कांग्रेस में पुराने और नये का विवाद लगातार बढ़ रहा है. हालांकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया, लेकिन मंगलवार को एक-एक कर नेताओं के बयान धीरे-धीरे खुलकर आ रहे हैं.
टीएमसी में नया बनाम पुराना विवाद
बता दें कि पश्चिम बंगाल विधासनभा चुनाव के बाद भी ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच आपसी मतभेद खुलकर सामने आया था, लेकिन बाद में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया है. उसके बाद से ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी लगातार साथ दिख रहे थे, लेकिन अब फिर से पार्टी के नये नेता और पुराने नेताओं के बीच अनबन की खबरें आ रही हैं. पार्टी में विवाद की शुरुआत अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष के बयान के बाद हुई थी.
कुणाल घोष कहा था, ”तृणमूल कांग्रेस के कुछ तथाकथित वरिष्ठ, कुछ मंत्री कई पदों पर बैठे हैं. उन्हें कई मौकों पर मुख्यमंत्री के साथ देखा जाता है. बीजेपी के दुर्व्यवहार पर हम दो-चार हैं. वे गोल-मोल बातें करके समस्या का समाधान कर देते हैं. उन्हें पार्टी से सबकुछ मिला है. उन्होंने लोकसभा चुनाव में वरिष्ठ नेताओं को फिर से उम्मीदवार बनाये जाने पर भी सवाल उठाया था. कुणाल घोष की टिप्पणी के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लगातार बयान आ रहे हैं, जिसमें ममता बनर्जी को सर्वोच नेता बताया जा रहा है.
इस बीच, कोलकाता नगर निगम के मेयर और पार्टी के आला नेता और मंत्री फिरहाद हकीम ने बयान दिया है कि पार्टी में ममता बनर्जी ही सर्वोच्च हैं और उनकी बातें ही आखिरी बात है. उनकी बातों का समर्थन करते हुए सिलीगुड़ी के मेयर और पार्टी के नेता गौतम देव ने भी कहा, ”ममता बनर्जी ही सब कुछ हैं. भारतीय राजनीति में उनका कोई विकल्प नहीं है. वह सब से ऊपर है. जब तक हमारा शरीर ठीक है, हम नेतृत्व करेंगे. तभी युवा आगे आएंगे.
ममता-अभिषेक की मुलाकात से भी नहीं थमा विवाद
इस बीच, अभिषेक बनर्जी ने ममता बनर्जी से उनके कालीघाट स्थित आवास पर जाकर मुलाकात की थी, लेकिन विवाद अभी भी नहीं थमा है.इसके पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी को कहते सुना गया था कि अगर अभिषेक बनर्जी लड़ेंगे तो वह ममता बनर्जी को सामने रखकर लड़ेंगे, लेकिन उनके बयान पर कुणाल घोष ने बोला था.
गौतम देव ने साफ कहा, ”अभिषेक बनर्जी एक महत्वपूर्ण नेता हैं. लेकिन ममता बनर्जी से कोई तुलना नहीं है. गौतम देव ने अपने भाषण में पार्टी के प्रति नये लोगों को कर्तव्य की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि उन्हें पहले इतिहास जानना होगा. समझना, सीखना. वरिष्ठ राजनेताओं से अनुभव सीखना चाहिए. गौतम देव ने कहा, ”पार्टी के बुजुर्गों को युवाओं को तृणमूल का इतिहास बताना चाहिए. मैंने यहां कहा है कि मैं दीदी की लिखी किताब पर किताब बनाऊंगा और नये लोगों को दूंगा. ताकि वे इतिहास जान सकें.
उन्होंने कहा, ”तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी पर्यायवाची हैं. जैसे मछली पानी के बिना नहीं रह सकती, वैसे ही यहां भी है. दीदी ने खुद कहा था, लगातार पीढ़ियों का निर्माण करेंगे. अभिषेक निश्चित रूप से इस पीढ़ी के आइकन हैं. ममता के बाद अभिषेक भी लोगों के बीच अपनी जगह जरूर बनाएंगे.”
दूसरी ओर, इस विवाद के बाद कुणाल घोष ने कुछ नुर नरम किया है. उन्होंने कहा, ”तृणमूल एक है और एकजुट है. विषय को लेकर मतभेद हैं.” इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा, ”तृणमूल कांग्रेस में ममता आखिरी शब्द है.” कुणाल ने कहा, सुब्रत बख्शी, फिरहाद हकीम खड़े होंगे. एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा, ”वरिष्ठों की भूमिका होगी. जब तक आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तब तक कुछ भूमिका निभाएँ. दिग्गजों के संघर्ष और बलिदान को साझा करें.
कुणाल ने कहा, ”तृणमूल एक बड़ा परिवार है. यहां पहला और आखिरी शब्द ममता बनर्जी का होता है. कमांडर अभिषेक बनर्जी हैं. ममता ने खुद तीन पीढ़ियों को सींचा है. “