नोएडा। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने नोएडा स्थित एक हाउजिंग प्रॉजेक्ट (सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट) में कंपनी के दो- 40 मंजिला टावर को गिराने का आदेश दिया है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें इन बिल्डिंग्स को अवैध करार दिया गया था। इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी को भी अदालत ने फटकार लगाई।
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार (अगस्त 31, 2021) को अपना फैसला सुनाते हुए कहा इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था। इससे पहले कोर्ट ने 3 अगस्त को पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उस समय भी कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को खूब फटकारा था।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की पीठ ने मामले की सुनवाई में पाया कि अतिरिक्त टावरों का निर्माण जिसमें तकरीबन 1000 फ्लैट बनने थे, वह नियम और कानून के विरुद्ध है। फैसले में ये भी कहा गया है कि ये निर्माण सुपरटेक द्वारा अपनी लागत पर दो माह के भीतर तोड़ा जाना चाहिए।
Supreme Court orders demolition of two 40-floor towers built by real estate company Supertech in one of its housing projects in Noida; says construction was a result of the collusion between the officials of the Noida authority and Supertech pic.twitter.com/5Vx3rSmHCd
— ANI (@ANI) August 31, 2021
बेंच ने रियल स्टेट कंपनी को उन सभी लोगों के पैसे लौटाने का निर्देश दिया जिन्होंने इस बिल्डिंग में घर के लिए पेमेंट की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को इन ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12% ब्याज के साथ रकम वापस करने का आदेश दिया है।
इससे पहले इसी मामले में ऐसा ही फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया था। साल 2014 में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि कंपनी घर खरीददारों को सारा पैसा वापस दे जिन्होंने नोएडा के सेक्टर 93ए में एमरॉल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के लिए पहले से बुकिंग कराई है।
हाई कोर्ट के इसी फैसले के बाद कंपनी ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसके कारण आदेश पर स्टे लग गया, लेकिन घर खरीददारों का पैसा वापस करने का निर्देश बरकरार रहा। जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा था उस समय नोएडा अथॉरिटी ने कहा कि पूरा निर्माण स्वीकृत योजना के तहत हो रहा है, इसमें कोई अवैधता नहीं है। जबकि एम्रॉल्ड कोर्ट ओनर आरडब्लूए की ओर से कहा गया कि दो टावरों का बनना पूर्णत: यूपी अपार्टमेंट एक्ट का उल्लंघन हैं। इसके लिए प्लॉन चेंज करने से पहले कोई अप्रूवल भी नहीं लिया गया।
कोर्ट ने अपने जजमेंट में आरडब्लूए की इस याचिका पर संज्ञान लिया और नोएडा व बिल्डर के पक्ष को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अथॉरिटी को फटकारा और कहा कि उनकी और बिल्डर्स की मिलीभगत से ये अवैध निर्माण हुआ। मालूम हो कि सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था जब एमरॉल्ड कोर्ट हाउजिंग सोसायटी के लोगों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश आया। जानकारी के मुताबिक, 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रॉजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है।