कनाडा के विश्व सिख संगठन (WSO) ने 19 जुलाई को कनाडा सरकार से अफगान में सिखों और हिंदुओं के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया। इस संबंध में मनमीत सिंह भुल्लर फाउंडेशन, खालसा एंड कनाडा और कनाडा के विश्व सिख संगठन (डब्ल्यूएसओ) ने एक संयुक्त बयान जारी किया था।
अपने बयान में उन्होंने कनाडा सरकार से अफगानिस्तान में फँसे अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू करने का आग्रह करते हुए लिखा था, “जैसे-जैसे अफगानिस्तान में जमीनी हालात बिगड़ते जा रहे हैं, हम अफगान दुभाषियों को देख रहे हैं, जिन्होंने कनाडाई लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, वे अब खतरे में हैं और हर पल डर के साए में जीने को मजबूर हैं।” उन्होंने कनाडा सरकार से युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में कमजोर आबादी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए तेजी से कार्य करने का अनुरोध किया है। दरअसल, तालिबान ने अफगानिस्तान में संघर्ष को तेज कर दिया है और ज्यादातर इलाके अब उसके कब्जे में हैं।
संगठन ने दावा किया कि मार्च 2020 में काबुल में गुरुद्वारा श्री गुरु हर राय साहिब पर आत्मघाती हमले के बाद जो हिंदू और सिख भारत चले गए हैं, उनके पास पुनर्वास का कोई विकल्प नहीं है। गौरतलब है कि इसी साल 20 मई को भारत सरकार ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए आवेदन माँगे थे। ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देने का यह आदेश सीएए का हिस्सा नहीं था।
मनमीत सिंह भुल्लर फाउंडेशन के तरजिंदर भुल्लर के हवाले से बयान में आगे कहा गया है, ”अब इस काम में तेजी लाने का समय आ गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम कई अफगान सिखों और हिंदुओं की सहायता करने के लिए अग्रसर हैं। जो हर दिन हर एक घंटे खतरे का सामना कर रहे हैं।” WSO अध्यक्ष ने कहा कि अन्यथा अफगानिस्तान में बचे हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाकर मार दिया जाएगा।
अफगानिस्तान के जलालाबाद में रहने वाले 60 सिख और हिंदू परिवारों में से 53 भारत चले गए थे। जलालाबाद के एक गुरुद्वारे में अब भी सिर्फ सात परिवार रह रहे हैं। 21 जुलाई को, टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि अफगानिस्तान में रहने वाले सिखों और हिंदुओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से देर होने से पहले उनकी मदद करने का आग्रह किया है। काबुल के गुरुद्वारा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा था कि काबुल में तालिबान के डर से लगभग 150 सिख और हिंदू रह रहे हैं। उन्होंने कहा, “अभी के लिए, हम काबुल में रह रहे हैं और सुरक्षित हैं लेकिन किसी को नहीं पता कि हम कब तक सुरक्षित रहेंगे।”
WSO ने CAA को बताया था विवादित कानून
बता दें कि भारत सरकार ने 2019 में नागरिकता संशोधन एक्ट में बदलाव किया था, जिसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे हिन्दू, सिख, जैन, पारसी, ईसाई और बौद्ध मूल के लोगों को भारत में शरण दी जा सकती है। हालाँकि, इसको लेकर देश में काफी विरोध भी हुआ था, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग रही थी।
WSO वर्तमान में कनाडा सरकार से आग्रह कर रहा है कि “युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में कमजोर आबादी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए तेजी से कार्य करे। इसे सुनिश्चित करने के लिए Immigration and Refugee Protection Act की धारा 25.2 के तहत एक विशेष कार्यक्रम तैयार करें।” पीड़ित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक विशेष कानून की माँग सीएए के उद्देश्य के समान ही है। हालाँकि, इस संगठन ने स्पष्ट रूप से सीएए के 2019 में पारित होने के बाद से बार-बार इसे ‘विवादास्पद कृत्य’ कहा था।
WSO ने दिल्ली दंगों 2020 के लिए हिंदुओं को जिम्मेदार ठहराया था
खासतौर पर डब्ल्यूएसओ ने सीएए के विरोध के बाद फरवरी 2020 में भड़के दिल्ली दंगों के लिए हिंदुओं को जिम्मेदार ठहराया था। दंगों को भड़काने के लिए कपिल मिश्रा को दोषी ठहराते हुए संगठन ने कहा, “एक बार फिर, हम भारत में अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक हमले देख रहे हैं, जिसमें पुलिस भीड़ की मदद कर रही है और खुद हिंसा में लिप्त है। पत्रकारों पर भी हमले हुए हैं। यह बहुत परेशान करने वाली बात है कि यह सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी के एक सदस्य (कपिल मिश्रा) थे, जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं होने पर हिंसा की चेतावनी दी थी।”
उन्होंने कहा, “भारत ने बार-बार अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले देखे हैं, जिनमें सिख, मुस्लिम और ईसाई शामिल हैं, जिन्हें या तो राज्य द्वारा मंजूरी दी गई है या उनकी अनदेखी की गई है।”