नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 74 वर्ष की उम्र में गुरुवार शाम निधन हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके बेटे और एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने ट्विटर हैंडल पर राम विलास पासवान के निधन की पुष्टि की है. चिराग पासवान ने अपने ट्वीट में लिखा, “पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं. Miss you Papa…”
राम विलास पासवान को मजाक में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव मौसम वैज्ञानिक बुलाते थे. इसकी वजह यह थी कि रामविलास पासवान हमेशा सत्ता के साथ रहे. उन्होंने छह प्रधानमंत्रियों के साथ कैबिनेट में काम किया था. राम विलास पासवान जो एक समय में कांग्रेस की सत्ता के खिलाफ इमरजेंसी के दौरान जेल गए थे, बाद में उसी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे. उस दौरान बीजेपी उनकी नीतियों का विरोध करती थी लेकिन मौजूदा मोदी सरकार में पासवान फिर से मंत्री बने.
कैसा रहा शुरुआती सफर
छात्र राजनीति में सक्रिय रामविलास पासवान, जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से निकले थे. साल 1969 में पहली बार पासवान बिहार के विधानसभा चुनावों में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप निर्वाचित हुए. उसके बाद 1974 में जब लोक दल बना तो पासवान उससे जुड़ गए और महासचिव बनाए गए. साल 1975 के आपातकाल का विरोध करते हुए पासवान जेल भी गए.
पहली बार कब बने सांसद
रामविलास पासवान साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी के उम्मीददवार के रूप में हाजीपुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. हाजीपुर में उन्होंने रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. इसके बाद साल 1980 के लोकसभा चुनावों में इसी सीट से दोबारा जीत हासिल की.
6 प्रधानमंत्रियों के मंत्री
रामविलास पासवान ने साल 1983 में दलितों के उत्थान के लिए दलित सेना का गठन किया था. वहीं 1989 में नवीं लोकसभा में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए. केंद्र की वीपी सिंह सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट में जगह मिली और श्रम कल्याण मंत्री बनाया गया. इसके बाद एचडी देवगौड़ा और आईके गुजरात की सरकार में साल 1996 से 1898 तक पासवान को रेल मंत्री बनाया गया.