नई दिल्ली। पब्लिशिंग हाउस ब्लूम्सबरी ने ‘दिल्ली दंगों 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ नामक पुस्तक को लेफ्ट लिबरल्स के दबाव की वजह से पब्लिश नहीं किया। उसी पब्लिशिंग हाउस ने पहले सीएए के विरोध को बढ़ावा देते हुए ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखित एक किताब को पब्लिश और प्रोमोट किया था जिसने दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन निर्दोष बताया था।
ब्लूम्सबरी इंडिया ने ज़िया उस सलाम (Ziya Us Salam) और उज़मा औसफ़ (Uzma Ausaf) द्वारा लिखित पुस्तक “शाहीन बाग: फ्रॉम ए प्रोटेस्ट टू ए मूवमेंट” प्रकाशित की है। उस किताब में शाहीनबाग के पूरे घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है। पुस्तक में पिछले साल नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं के नेतृत्व में किए गए विरोध प्रदर्शन के बारे में बताया गया है। जिसका समापन इस साल फरवरी में दिल्ली के दंगों के रूप में हुआ था।
महिलाओं ने संशोधन को वापस लेने की माँग को लेकर महीनों तक एक आवश्यक सड़क को जाम रखा था। पुस्तक के दोनों लेखक शाहीन बाग विरोध के साथ निकटता से जुड़े थे। पुस्तक में यह तर्क दिया गया है कि शाहीनबाग का विरोध भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।
गौरतलब है कि किताब के अनुसार नवंबर से फरवरी तक देश भर में सीएए के विरोध में हुए दंगे भारत को गौरवान्वित करते है। इसे “सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों के लिए एक आधुनिक गाँधीवादी आंदोलन” कहा गया हैं। बता दें, ये विरोध प्रदर्शन गाँधीवादी नहीं थे, क्योंकि यह कई राज्यों में लगातार हो रही हिंसा का दिल्ली के दंगों के साथ समापन था। वहीं इसका नागरिकों के लिए समान अधिकारों से कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि सीएए भारतीय नागरिकों के लिए लागू नहीं किया गया है।
लेकिन ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित पुस्तक की लेखक जिया उल सलाम ने 28 फरवरी को ताहिर हुसैन को निर्दोष करार दिया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि भीड़ ने उनकी अनुपस्थिति में उनके घर को लूट लिया और नष्ट कर दिया। बता दें उस समय तक, ताहिर हुसैन को दंगों के पीछे के मास्टरमाइंडों में से एक घोषित किया जा चुका था। इसके अलावा, मुस्लिम दंगाइयों द्वारा मारे गए आईबी अधिकारी अंकित शर्मा के परिवार ने पहले ही आरोप लगाया था, कि ताहिर हुसैन अंकित की हत्या का जिम्मेदार है, और उन्होंने उसका नाम एफआईआर में लिया था।
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में कई चार्जशीट दायर किए हैं। इसके साथ ही ताहिर हुसैन को दंगों के पीछे महत्वपूर्ण साजिशकर्ता के रूप में भी नामित किया गया है। चार्जशीट में उनका कॉन्फेशन भी शामिल है, जहाँ उन्होंने बताया है कि कैसे उन्होंने दंगों के लिए योजना बनाई और व्यवस्था की थी। अंकित शर्मा मामले में चार्जशीट भी उनका नाम है।
जिया उल सलाम का यह भी दावा है कि दिल्ली में कोई दंगे नहीं हुए थे, और यह सिर्फ मुस्लिमों और मस्जिदों पर हमला करने की योजना थी। उन्होंने यह दावे इस तथ्य के बावजूद किए कि इन दंगों में सबसे ज्यादा हिंदुओं को नुकसान हुआ था। और उन्हें पहले निशाना बनाया गया था। जबकि मुसलमानों को हिंदुओं द्वारा किए गए जवाबी हमलों में निशाना बनाया गया था। चार्जशीट के अनुसार मुसलमानों द्वारा राष्ट्रपति ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उजागर करने के लिए एक बड़ी योजना बनाई गई थी।
हालाँकि, ज़िया उस सलाम और उज़मा औसफ़ द्वारा कथित किताब जुलाई में प्रकाशित की गई थी, लेकिन उन्होंने उस किताब को आज (22 अगस्त, 2020) प्रोमोट किया है। उन्होंने ट्विटर पर एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें शाहीन बाग के विरोध को दर्शाते हुए किताब का प्रचार किया गया।
उनके द्वारा किताब को आज प्रोमोट करने का फैसला मोनिका अरोड़ा, सोनाली चीतलकर और प्रेरणा मल्होत्रा द्वारा लिखित पुस्तक ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ को वापस लेने बाद आया है।
दिल्ली दंगों को लेकर लिखी गई यह किताब तथ्यों के अनुसार लेखकों द्वारा की गई जाँच और साक्षात्कार पर आधारित है। असल में यह सितंबर में रिलीज़ होनी थी। पुस्तक को लॉन्च करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लेखक घटना में शामिल हो रहे थे उसके बावजूद उन्होंने पुस्तक को वापस ले लिया।
पुस्तक की घोषणा के बाद इसे वाम-उदारवादियों द्वारा टारगेट किया गया था। इस किताब को आज भाजपा के कपिल मिश्रा, फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री और ऑपइंडिया की संपादक नूपुर शर्मा की उपस्थिति में लॉन्च किया जाना था।
दिल्ली दंगों के सच को बयाँ करने वाली किताब को वापस लेने और ज़िया उस सलाम और उज़मा औसफ़ द्वारा लिखित पुस्तक को प्रोमोट करने जोकि दंगों के पीछे के मुख्य आरोपित को बचा रहा है, ब्लूम्सबरी ने स्पष्ट रूप से दंगों को लेकर उनका पक्ष लिया है।