नई दिल्ली। प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने मोनिका अरोरा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा की की पुस्तक ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ के प्रकाशन को वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने इसके पीछे का एक कारण उनकी जानकारी के बिना लेखकों द्वारा आयोजित किए गए वर्चुअल प्री-पब्लिकेन इवेंट लॉन्च करने को बताया। प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने यह बातें एक प्रेस रिलीज जारी करके कहा।
ब्लूम्सबरी इंडिया ने कहा कि उन्होंने लेखकों द्वारा की गई जाँच और इंटरव्यू के आधार पर सितंबर 2020 में पुस्तक को जारी करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने अपने फैसले को रद्द कर दिया है।
पब्लिकेशन हाउस ने आगे कहा, “लेखकों द्वारा हमारी जानकारी के बिना आयोजित एक वर्चुअल प्री-पब्लिकेन इवेंट लॉन्च सहित हाल ही की घटनाओं को देखते हुए, हमने पुस्तक के प्रकाशन को वापस लेने का फैसला किया है।”
पुस्तक के प्रकाशन को वापस लेने का निर्णय सोशल मीडिया पर प्रमुख ’बुद्धिजीवियों’ के नेतृत्व वाली वामपंथी उग्र भीड़ के विरोध के बाद आया, जिसने पब्लिकेशन हाउस पर ऐसा निर्णय लेने के लिए पर दबाव डाला था। आक्रोशित वामपंथी भीड़ में विवादास्पद अभिनेत्री स्वरा भास्कर और अन्य प्रख्यात ‘पत्रकारों’ और ‘बुद्धिजीवियों’ जैसे कई व्यक्तित्व शामिल थे।
facebook changes standards in india to cater to the Modi govt, but this is way beyond, one of the main perpetrators of the violence against muslims in delhi is the guest of honour? from promoting hate to promoting murder @BloomsburyIndia? @BloomsburyBooks @BloomsburyPub? https://t.co/FSUNTcfNPZ
— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) August 21, 2020
.@BloomsburyIndia – you are platforming Hindutva Nazis. Kapil Mishra directly instigated the pogrom against Muslims earlier this year and now he will be speaking at this fascist book launch to distort history? SHAME ON YOU. https://t.co/132ok77VZ3
— South Asia Solidarity Initiative (@SASIinNYC) August 21, 2020
कॉन्ग्रेस समर्थकों ने भी ब्लूम्सबरी इंडिया को किताब वापस लेने के लिए उकसाया।
All authors across the world working with @BloomsburyBooks & @BloomsburyPub should know that their India division propagates fake communal propaganda & tries to justify a pogrom.
To give a platform to hate speech in India while virtue signaling overseas is the new tactic.
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) August 21, 2020
ब्लूम्सबरी इंडिया ने लिबरलों, कॉन्ग्रेस समर्थकों और इस्लामवादियों की उग्र भीड़ के दबाव में रहते हुए दावा किया कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करता है। उनका कहना है कि उन्होंने पुस्तक के प्रकाशन का फैसला इसलिए वापस ले लिया, क्योंकि वो ‘समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर काफी सचेत हैं।’