पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की बच्चियों का अपहरण, उनसे बलात्कार, फिर धर्म परिवर्तन और पुरुषों की हत्याओं का सिलसिला जारी है। शर्मनाक ये है कि प्रशासन से लेकर वहाँ की न्याय व्यवस्था भी इस्लामिक कट्टरपंथियों के ही कृत्यों का समर्थन कर रही है।
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता राहत ऑस्टिन ने आज सुबह एक वीडियो साझा की। उनके मुताबिक यह वीडियो सिमरन नाम की लड़की के परिवार की है। इसमें देखा जा सकता है कि परिवार अपनी बच्ची सिमरन के लिए बिलख-बिलख कर रो रहा है।
सिमरन का कुछ समय पहले घोटकी-सिंध के मीरपुर इलाके से कट्टरपंथियों ने अपहरण किया था। फिर बलात्कार कर उसे इस्लाम कबूल करवा दिया गया। परिवार ने इंसाफ के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई। लेकिन कोर्ट ने उसे यह कहकर खारिज कर दिया कि एक मुस्लिम का अपने गैर मुस्लिम परिवार से कोई संबंध नहीं होता। अगर उन्हें उनसे मिलना है तो उन्हें भी इस्लाम कबूल करना होगा।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आवाज उठाने वाले वॉयस ऑफ पाकिस्तान मायनॉरिटी नाम के ट्विटर हैंडल पर भी सिमरन के परिवार की यह वीडियो डाली गई है। ट्वीट में दावा किया गया है कि इसके पीछे भी हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण करवाने वाले कुख्यात मियाँ मिट्ठू का ही हाथ है।
जगजीत कौर को लाहौर की कोर्ट ने भेजा मोहम्मद हसन के पास
यह अकेला मामला नहीं है जो पाकिस्तान के प्रशासन और उनकी न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है। कुछ समय पहले पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे के ग्रंथी की बेटी जगजीत कौर के अपहरण का मामला सामने आया था। जगजीत का अपहरण मोहम्मद हसन ने किया था। इसके बाद जगजीत के परिवार ने उसपर कई आरोप लगाए।
जगजीत के परिवार का कहना था कि हसन ने उनकी बेटी का धर्म परिवर्तन करवाकर उसे मुस्लिम बनाया और उसका नाम आयशा कर दिया। जब इस मामले ने हर जगह तूल पकड़ा तो दिखाने के लिए वहाँ इस पर कार्रवाई शुरू हुई।
हसन को गिरफ्तार किया गया। जगजीत को शेल्टर होम भेजा गया। लेकिन अब हाल ही में ये खबर सामने आई कि लाहौर हाईकोर्ट ने उसे हसन के पास ही दोबारा भेज दिया है। अब वह हसन के साथ ही दोबारा रहेगी।
नाबालिग ईसाई लड़की की कस्टडी भी अपहरण करने वाले को दी गई
सिमरन और जगजीत के बाद एक और केस पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था की सच्चाई खोलता है। ये केस 14 साल की ईसाई लड़की मायरा का है। फैसलाबाद की रहने वाली मायरा से निघत शहबाज ने पिछले साल अप्रैल में अगवा कर निकाह किया।
परिवार के विरोध पर यह पूरा मामला कोर्ट में पहुँचा तो कोर्ट ने लड़की के साथ हुई ज्यादतियों को तो नजरअंदाज किया ही, साथ ही उसकी उम्र को भी नहीं देखा। अंत में उसकी कस्टडी उसी व्यक्ति को दे दी गई जिसने उसका अपहरण किया था। इस केस में भी बच्ची कुछ समय के लिए शेल्टर होम में रखी गई थी।
सालाना 1000 गैर मुस्लिम लड़कियों से कबूल करवाया जाता है इस्लाम
बता दें, पाक में इतनी तेजी से लड़कियों के धर्मांतरण की खबरें सिर्फ़ मीडिया में आने वाली खबरों से नहीं पता चलतीं। वहाँ की मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट भी बताती है कि सालाना पाकिस्तान में कम से कम 1000 गैर मुस्लिम लड़कियों से जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है। इनमें से अधिकांश सिंध में रहने वाली हिंदू समुदाय की होती हैं।
सैकड़ों अपहरण और जबरन धर्मपरिवर्तन के मामले आने के बाद भी पाकिस्तान सरकार का इन मामलों पर कोई एक्शन नहीं है। साल 2016 और 2019 में एक विधेयक लाने की बात जरूर सामने आई थी।